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Puran Kumar Case: 'Delaying proceedings...helping the culprits', says MLA Chandra Prakash
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Puran Kumar Case: 'कार्यवाही में देरी करना...दोषियों की मदद करना' बोले विधायक चंद्र प्रकाश
Video Published by: पंखुड़ी श्रीवास्तव Updated Mon, 13 Oct 2025 09:30 AM IST
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आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले ने अब नौकरशाही और राजनीतिक गलियारों में गहरी हलचल पैदा कर दी है। इस घटना पर जहां पुलिस विभाग में शोक और नाराजगी का माहौल है, वहीं अब आईएएस अधिकारी भी खुलकर उनके समर्थन में सामने आ रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।
आदमपुर से विधायक और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चंद्र प्रकाश ने हरियाणा सरकार से इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि “यह हादसा बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले में सुसाइड नोट भी मिला है, इसलिए एफआईआर को कानूनी रूप से दर्ज किया जाना चाहिए और किसी भी तरह का राजनीतिक या प्रशासनिक डायवर्जन नहीं होना चाहिए।”
चंद्र प्रकाश ने कहा कि वे स्वयं एक अधिकारी रह चुके हैं और प्रशासनिक तंत्र की जटिलताओं को भलीभांति समझते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और विवेक से कार्य करना चाहिए। “सरकार को चाहिए कि वह निष्पक्ष जांच कर दोषियों की पहचान करे और जिनकी जिम्मेदारी बनती है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे,” उन्होंने कहा। सेवानिवृत्त अधिकारी ने यह भी कहा कि मृतक अधिकारी की धर्मपत्नी के साथ जो घटनाक्रम हुआ, वह बेहद दर्दनाक है और यह जांच का महत्वपूर्ण विषय है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न कैसे हुई। उन्होंने मांग की कि परिजनों की जो भी मांगें हैं, उन पर तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि परिवार को न्याय मिल सके।
चंद्र प्रकाश ने कांग्रेस नेताओं — राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा — का हवाला देते हुए कहा कि सभी वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मामले में शीघ्र संज्ञान लेने की बात कही है। उन्होंने सरकार पर देरी का आरोप लगाते हुए कहा कि “विलंब करना दोषियों की मदद करने जैसा है।” उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े और दलित वर्ग के अधिकारियों को कई बार समान अवसर नहीं मिलते, और यही भेदभाव प्रशासनिक तंत्र में असंतोष को जन्म देता है।
अंत में चंद्र प्रकाश ने दो टूक कहा कि “यह मामला केवल एक अधिकारी की आत्महत्या नहीं, बल्कि व्यवस्था में व्याप्त असंवेदनशीलता का प्रतीक है। सरकार को सीनियर स्तर पर हुई चूक की जिम्मेदारी तय कर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी अधिकारी को ऐसी परिस्थितियों में न जाना पड़े।”
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