{"_id":"6922f42fc1d39215d20f3647","slug":"video-state-level-chamar-mahasammelan-organized-2025-11-23","type":"video","status":"publish","title_hn":"हिसार: राज्य स्तरीय चमार महासम्मेलन का आयोजन","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
नई अनाज मंडी में रविवार को आयोजित राज्य स्तरीय चमार महासम्मेलन में प्रदेश भर से जुटे समाज के लोगों ने आरक्षण में वर्गीकरण का विरोध किया। साथ ही 72 हजार बैकलॉग पदों को भरने की मांग भी उठी। महासम्मेलन में वक्ताओं ने सरकार को चेताते हुए हुए कहा कि समाज के संवैधानिक अधिकारियों के साथ खिलवाड़ बंद नहीं हुआ तो यह आंदोलन और उग्र होगा।
इस महासम्मेलन के आयोजक समिति हरियाणा के मुख्य वक्ता शीशपाल चालिया और अन्य वक्ताओं ने आरोप लगाया कि एक साजिश के तहत चमार जाति के कोटे में डीएससी (वंचित अनुसूचित जाति) समाज को शामिल किया जा रहा है, जिससे चमार समाज के बच्चों का हक मारा जा रहा है। रोजगार के मुद्दे पर समाज के प्रतिनिधियों ने कड़ा रुख अपनाया। मंच के वक्ताओं ने कहा कि भर्ती एजेंसियां ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ (एनएफएस) का बहाना बनाकर योग्य उम्मीदवारों को बाहर कर देती हैं और आरक्षित सीटें खाली छोड़ दी जाती हैं। मंच से वक्ताओं ने राज्य की बड़ी नौकरियों में एकमात्र आरक्षित सीट को भी डीएससी के लिए आरक्षित करने पर नाराजगी जताई। उन्होंने इसे समाज को उच्च पदों से वंचित रखने की सोची-समझी राजनीति करार दिया। इसके अलावा, सामाजिक कल्याण मंत्रालय पर जातिवादी मानसिकता से काम करने और छात्रवृत्ति व कल्याणकारी योजनाओं में देरी करने का आरोप भी लगाया गया। शिक्षा नीति पर बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि देश में अमीर और गरीब के बच्चों के लिए अलग-अलग शिक्षा व्यवस्था है। सम्मेलन को विधायक नरेश सेलवाल, रघुवीर सुंडा, वजीर सिंह, डाॅ. राजेश कुमार, डॉ. अनिल मेहरा, वीरेंद्र सिंह ,बहादुर सिंह, रामकिशन, हुकुम सिंह ,संजीव कोचर, डॉ. निशा बराक, जगदीश मेहरा, वकील चंद रंगा, सरोज बाला गौड़, राजपाल मांडी आदि वक्ताओं ने संबोधित किया।
महासम्मेलन में ये उठीं मांगें
शिक्षा आरक्षण में वर्गीकरण तुरंत समाप्त किया जाए। अनुसूचित जाति का आरक्षण 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 22.5 प्रतिशत किया जाए। नॉट फाउंड सूटेबल' (एनएफएस ) का नियम रद्द किया जाए। सरकारी विभागों में 72,000 एससी बैकलॉग पद भरे जाएं। शल रोजगार निगम बंद हो और केवल नियमित भर्ती की जाए। इसके अलावा पूरे देश में एक समान शिक्षा नीति और सिलेबस लागू हो।
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