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नारनौल: देसी गाय के गोबर से प्राकृतिक सफेद पेंट बना रही 10 महिलाएं
साल 2012 में गांव कटकई में मधु ने जय माता दी स्वयं सहायता समूह बनाया। इसमें उनके साथ 10 महिलाएं भी साथ थी। उस दौरान समूह की महिलाएं दरी, गलीचा व पायदान आदि बनाकर बाजार में बेचती थी, यहां तक पंचकूला में भी प्रदर्शनी लगा चुकी हैं। लेकिन धीरे धीरे इस काम में इतनी प्रतिस्पर्धा बढ़ गई कि काम कम होता चला गया। ऐसे में मधु ने इसके अलावा कुछ अलग करने का सोचा, जो लीक से एकदम हटकर हो।
मधु ने बताया कि प्रदेश में लगने वाले अलग अलग जिलों के मेले व गीता महोत्सव आदि में वह जाकर देखती थी कि क्या नया है। ऐसे में एक बार उनकी नजर देसी गाय के गोबर से निर्मित पेंट पर पड़ी। तब उन्होंने स्टॉल पर जाकर इस पेंट के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि खादी इंडिया नामक संस्था देसी गाय के गोबर से पेंट बनाने का प्रशिक्षण देती है। बस फिर क्या था मधु के सपनों को मानों पंख लग गए हों।
इसके बाद मधु ने सभी महिलाओं से इस संबंध में बातचीत की और सभी की रजामंदी के बाद जयपुर में 6 हजार रुपये खर्च कर पांच दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान उन्होंने गोबर से पेंट बनाने व उसमें मिलाए जाने वाली सामग्री के बारे में प्रशिक्षण लिया।
मधु ने बताया कि पेंट बनाने के लिए देसी गाय का 24 घंटे के अंदर अंदर का दिया गोबर ही जरूरी होता है। इसकी मशीन में पिसाई करने के बाद इसमें दो सीक्रेट पदार्थ मिलाए जाते हैं और 12 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके बाद इसे छान कर लिक्विड फॉर्म में बदला जाता है और इसमें सीओटू, सीएसीओथ्री सहित अन्य पदार्थ सम्मिलित किए जाते हैं। जिससे पेंट सफेद रंग में गाढ़ा व थोड़ा चिपचिपा हो जाता है। इस प्रकार एक प्राकृतिक पेंट तैयार किया जाता है। मधु काम करने की एवज में प्रत्येक महिला को 400 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अदा करती हें।
समूह की ओर से इंप्रेशन व डिस्टेंपर दो तरह के पेंट तैयार किए जा रहे हैं। इंप्रेशन पेंट की 20 लीटर की बाल्टी की कीमत 4200 रुपये व डिस्टेंपर की 20 किलों की बाल्टी 1400 रुपये में बाजार में बेची जा रही है। मधु ने बताया कि दिवाली के सीजन के दौरान उन्होंने करीब 30 हजार रुपये का पेंट बेचा था।
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