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महेंद्रगढ़: अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से राजकीय महिला आईटीआई में अपराजिता कार्यक्रम का आयोजन
एकल परिवारों की बजाए संयुक्त परिवारों में बच्चों से लेकर महिलाओं के हित अधिक सुरक्षित हैं। संयुक्त परिवारों में पले-बढ़े बच्चे सभ्य नागरिक बनकर सामाजिक तानेबाने की मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संयुक्त परिवार महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता का सबसे बड़ा माध्यम हैं। वर्तमान दौर में एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है। परिवार में पति-पत्नी दोनों नौकरी पेशा से जुड़े हुए हैं तो बच्चों की देखभाल में काफी परेशानियां आ सकती हैं। संयुक्त परिवारों में बच्चों की देखभाल बुजुर्ग करते हैं तो महिलाओं को भी आगे बढ़ने के अवसर अधिक मिलते हैं।
वीरवार को अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से राजकीय महिला आईटीआई में अमर उजाला की ओर से आयोजित अपराजिता कार्यक्रम में आईएएस कनिका गोयल उपमंडल अधिकारी महेंद्रगढ़ ने बतौर मुख्य वक्ता छात्राओं से सीधा संवाद कर उनकी समस्याएं जानी। कार्यक्रम में महिला आईटीआई की 80 छात्राएं शामिल हुई। वक्ता के रूप में नगरपालिका महेंद्रगढ़ की वाइस चेयरमैन मंजू कौशिक व वरिष्ठ महिला अधिवक्ता रेखा यादव व वर्ग अनुदेशक हर्षवर्धन ने एकल व संयुक्त परिवारों के समाज पर पड़ने वाले प्रभावों से अवतगत कराया।
मंजू कौशिक ने अपने संबोधन में कहा कि तीन दशक पूर्व संयुक्त परिवारों की संख्या अधिक थी। लेकिन वर्तमान दौर बड़े बदलाव का दौर है। संयुक्त परिवार वटवृक्ष की तरह महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करते हैं। संयुक्त परिवारों में बेटियों को कामयाबी के लिए मेहनत का पूरा अवसर मिलता था। सुविधा भोगी जीवन की चाह ने बुजुर्गों को छोटे बच्चों से दूर कर सामाजिक तानेबाने को कमजोर कर दिया है। लेकिन अब संयुक्त परिवार की परंपरा की ओर वापस लौटना होगा। संयुक्त परिवारों में विशेषकर महिलाओं को विचारों की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी अधिक है। पाश्चात्य संस्कृति हावि होने से ही संयुक्त परिवार टूट रहे हैं।
महिला अधिवक्ता रेखा यादव ने कहा कि एकल परिवारों की बढ़ती संख्या ने समाज में अपराध एवं नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है जो सामाजिक तानेबाने के लिए बड़ा खतरा है। संयुक्त परिवारों का निगरानी तंत्र बड़ा मजबूत होता है बेटियां एवं बेटे भटकाव से बचते हैं। जबकि एकल परिवारों में कमजोर निगरानी तंत्र अपराध एवं नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। आत्महत्या के आंकड़ों पर गौर करें तो यह एकल परिवारों में अधिक है। जबकि संयुक्त परिवारों में जिम्मेदारी का भाव बचपन से ही सीखाया जाता है, तनाव प्रबंधन की शिक्षा दी जाती है। कार्यक्रम के दौरान कोपा ट्रेड की छात्रा सुमित्रा व पूजा, मुस्कान, आशा ने वक्ताओं से सवाल कर अपने समक्ष आने वाली चुनौतियों के समाधान के बारे में संवाद भी किया। अनुेदशक इलेक्ट्रानिक्स सुमित्रा शर्मा ने मंच संचालन किया।
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