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Justice Surya Kant said that the increasing conflict between humans and nature has caused damage to the environment.
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत बोले-मानव और प्रकृति के मध्य बढ़ते संघर्ष ने पर्यावरण को पहुंचाई क्षति
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि हाल के वर्षों में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ है, जिसके कारणों का गहन विश्लेषण आवश्यक है। हमारी संस्कृति में प्रकृति को माता के रूप में पूजने की परंपरा रही है, परंतु वर्तमान में मानव और प्रकृति के मध्य बढ़ते संघर्ष ने पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाई है। इस चुनौती के समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। वह शनिवार को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में मंडी में आयोजित विशाल विधिक साक्षरता शिविर अभियान का शुभारंभ किया। यह शिविर नशामुक्त समाज-भारत का संकल्प, पर्यावरण संरक्षण-भूमंडल रक्षण तथा आपदा पीड़ित पुनर्वास विषयों पर केंद्रित रहा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा राहत कोष की स्थापना को सराहनीय पहल बताया, जिसके माध्यम से पीड़ितों को त्वरित सहायता प्रदान की गई है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस दिशा में केरल राज्य में एक विशेष योजना आरंभ की है जिसके अंतर्गत पैरा-लीगल वॉलंटियर्स ग्रामीण स्तर पर पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधता के प्रति जनजागरूकता फैला रहे हैं। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने सभी का स्वागत किया तथा न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
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