दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में मां गजलक्ष्मी मंदिर में विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। यह मंदिर लगभग दो हजार साल पुराना है और इसमें मां लक्ष्मी सफेद हाथी पर विराजित हैं। देश के किसी अन्य मंदिर में ऐसा अद्वितीय दृश्य नहीं है। दिवाली के मौके पर पूरे प्रदेश से भक्त मां गजलक्ष्मी के दर्शन के लिए मंदिर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि दिवाली पर मां गजलक्ष्मी की पूजा से भक्तों पर विशेष कृपा बरसती है।
उज्जैन के नईपेठ स्थित यह मंदिर गजलक्ष्मी माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। सोमवार को दिवाली के खास मौके पर यहां मां गजलक्ष्मी का दुग्ध अभिषेक किया जाएगा। सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। मंदिर के पुजारी पं. अनिमेष शर्मा के अनुसार, यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। प्रसिद्ध इतिहासकार और पुरातत्वविद् श्रीधर विष्णु वाकणकर ने अपने शोध में इसकी पुष्टि की है। स्कंद पुराण में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है।
मां गजलक्ष्मी को राजा विक्रमादित्य अपनी राजलक्ष्मी मानकर पूजते थे। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा भी है, जिसमें उनके 24 अवतारों का चित्रण किया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान विष्णु के दर्शन भी करते हैं।
धनतेरस, दिवाली और सुहाग पड़वा के दिन मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते हैं। सफेद हाथी पर विराजित माता लक्ष्मी की मूर्ति देखने योग्य है। ऐसा माना जाता है कि यह हाथी एरावत है, जो समुद्र मंथन के समय प्रकट हुआ था। केवल दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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दीपावली पर मंदिर चौबीस घंटे खुला रहेगा। पुजारी पं. अनिमेष शर्मा के अनुसार, दिवाली के दिन मंदिर में विशेष सजावट की जाएगी और भीड़ को देखते हुए विशेष व्यवस्था की गई है।
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सुबह 8 से 11 बजे तक: माता गजलक्ष्मी का दूध से अभिषेक
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दोपहर 12 बजे: अभिषेक के बाद महाआरती
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आरती के बाद: भक्तों को कौड़ियों और सिक्कों का प्रसाद
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शाम: मां लक्ष्मी को छप्पन भोग का नैवेद्य अर्पित किया जाएगा
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विशेष दर्शन: दिवाली के दिन माता लाल रंग के विशेष स्वरूप में दर्शन देंगी
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मंदिर खुला रहेगा: देर रात तक भक्तों की सुविधा के लिए