सरकार द्वारा पराली जलाने पर की जा रही कार्रवाई के विरोध में शुक्रवार को मंडला नैनपुर में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर जोरदार प्रदर्शन किया। यह रैली भारत कृषक समाज के बैनर तले आयोजित की गई, जिसमें आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा और प्रशासन से राहत देने की अपील की।
सुबह से ही किसान अपने-अपने ट्रैक्टरों पर झंडे और बैनर लगाकर रैली में पहुंचे। रैली नगर के प्रमुख मार्गों से निकाली गई, जिसमें किसानों ने नारेबाजी करते हुए अपनी समस्याओं पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। रैली के अंत में किसान दल एसडीएम कार्यालय पहुंचा, जहां उन्होंने ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में किसानों ने कहा कि सरकार पराली जलाने वालों पर बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए कार्रवाई कर रही है, जिससे किसान परेशान हैं। पराली को नष्ट करने या उपयोग में लाने के लिए जरूरी उपकरण और संसाधन ग्राम स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
किसानों ने यह भी बताया कि प्रदेश के कई इलाकों में गोशालाओं की स्थिति खराब है। कई जगहों पर गोशालाओं का निर्माण अधूरा पड़ा है, जिससे पशुओं को रखने में दिक्कत होती है। उन्होंने मांग की कि हर ग्राम पंचायत में गोशाला निर्माण कराया जाए, ताकि पशुधन की बेहतर देखभाल हो सके।
किसानों ने यह भी कहा कि जब तक फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रशासनिक सहायता नहीं दी जाती, तब तक पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई को रोका जाए। उनका कहना है कि जब तक उन्हें मशीनरी, ट्रैक्टर उपकरण या वैकल्पिक साधन नहीं मिलते, तब तक यह नीति किसानों पर बोझ बनी रहेगी।
किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार की नीति के विरोधी नहीं हैं, बल्कि ऐसी व्यवस्था चाहते हैं जिससे किसान और सरकार दोनों को संतुलित लाभ मिले। यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे आगे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
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रैली के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। किसानों ने उम्मीद जताई कि सरकार उनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार करेगी और जल्द समाधान निकालेगी।
भारत कृषक समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार को किसानों की वास्तविक स्थिति समझनी चाहिए। केवल दंडात्मक कार्रवाई से समस्या हल नहीं होगी। किसानों को सहायता और संसाधन दोनों की जरूरत है, क्योंकि किसान और उनकी फसल ही देश की रीढ़ हैं।