जिले में पुलिस ने एक बड़े साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसने पिछले आठ महीनों में देशभर में 50 हजार से अधिक फर्जी सिम कार्ड जारी किए थे। इनमें से लगभग 15 हजार सिम कार्ड केवल बालोतरा जिले से जारी किए गए थे। इस गिरोह के तार राजस्थान के कई जिलों के साथ-साथ अन्य राज्यों तक फैले हुए थे। पुलिस ने मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैंक दस्तावेज और करोड़ों रुपए के लेन-देन के सबूत जब्त किए हैं।
बालोतरा एसपी रमेश कुमार के नेतृत्व में साइबर टीम ने पिछले तीन महीनों से गिरोह पर नजर रखी थी। सूचना मिली थी कि कुछ लोग आम नागरिकों की जानकारी का दुरुपयोग कर उनके नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर सिम कार्ड जारी कर रहे थे और इन्हें दूसरे राज्यों में ऊंचे दामों पर बेच रहे थे।
पुलिस ने 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें विक्रम कुमार, संदीप कुमार, लोकेश जाजोरिया, हरिशचन्द्र, राहुल, मोहनगिरी, राकेश चौधरी, नारायण, मुकेश कुमार और भीमसिंह शामिल हैं। सभी आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि वे देशभर में फैले सिम वितरकों, रिचार्ज एजेंटों और पीओएस धारकों के संपर्क में थे और नकली पहचान पत्रों के माध्यम से सिम कार्ड सक्रिय करवा रहे थे।
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पुलिस ने आरोपियों के पास से 19 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप और कई बैंकों के करोड़ों रुपए के स्टेटमेंट जब्त किए। एसपी ने बताया कि यह नेटवर्क साइबर फ्रॉड, ड्रग तस्करी, अवैध शराब और फाइनेंशियल फ्रॉड्स में सक्रिय गिरोहों को भी सिम कार्ड सप्लाई करता था। गिरफ्तार आरोपियों में से लोकेश जाजोरिया के पास 7 महंगे मोबाइल फोन, बुलेट बाइक और स्प्लेंडर मोटर साइकिल बरामद हुई। वह खुद को फिटनेस प्रेमी बताकर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहता था।
जांच में सामने आया कि सिम कार्ड केवल एक राज्य तक सीमित नहीं थे और न ही किसी एक अपराध में इस्तेमाल होते थे। ये राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात तक भेजे जाते थे। इन सिम कार्डों का उपयोग ऑनलाइन फ्रॉड, क्रिप्टो ट्रेडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और नशे के कारोबार में किया जाता था।
बालोतरा और पचपदरा थाने में अलग-अलग मामले दर्ज कर आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने सभी को पुलिस रिमांड पर सौंपा, ताकि गिरोह के बाकी नेटवर्क का पता लगाया जा सके। एसपी रमेश कुमार ने लोगों से अपील की कि वे अपने आधार कार्ड या पहचान पत्र की फोटो किसी अनजान व्यक्ति को न दें। यह कार्रवाई राजस्थान पुलिस की साइबर अभियान की अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है।