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VIDEO : किन्नौर के ग्राम उरनी में धूमधाम से मनाया गया ऐतिहासिक बौल मेला
जिला किन्नौर के ग्राम उरनी में हर 3 वर्ष के बाद मनाया जाने वाला ऐतिहासिक बौल मेला धूमधाम से मनाया गया। इस मेले का इतिहास लोकभाषिक मान्यता एवं लोकगीतों के अनुसार , कई ऐतिहासिक तथ्य एवं मान्यता बल पराक्रम से जुड़ी हुई पराजय पर विजय का प्रतीक है, वर्तमान किनौर जिला प्राचीन समय में रामपुर बुशहर रियासत के अंतर्गत आता था, उस समय तत्कालीन राजा महेंद्र सिंह को बालय अवस्था में दुश्मनों द्वारा मारने के कोशिश की। प्रग्राम के परगना की अधिपति महेश्वर चगाव बद्रीनारायण उर्नी द्वारा उनके साजिश को नाकाम किया गया था! लोकगीतों में मान्यता है कि नेपाल के राजा जंग बहादुर के सेनापति अमर सिंह थापा ने तात्कालिक बुशहर रियासत के तातकालिक राजमाता और उनके पुत्र महेंद्र सिंह जो बहुत छोटे थे उनको लेकर किन्नौर में कूच किया था! राजमाता अपने बेटे को साथ लेकर बचाने के लिए महेश्वर मंदिर चगाव में आकर शरण ली , महेश्वर चगाव व बद्रीनारायण उरनी अपने अलौकिक शक्ति से दुश्मनों को वापस जाने पर मजबूर होना पड़ा दुश्मन सैनिकों के अस्त्र-शास्त्र पर, कब्जा कर, उसे मंदिर में लाया क्या और तीनों गांव चगाव,उरनी और मीरू में हर 3 वर्ष के यह त्यौहार मनाया जाता है! कहा जाता है की नेपाल आक्रांत अमर सिह थापा के सैनिकों द्वारा शोलटू नामक स्थान भी अपने अस्त्र शास्त्र को छोड़कर चले गए जिसे महेश्वर चगाव व देवता बद्री नारायण उरनी द्वारा उस अस्त्र-शास्त्र ( ढाल, तलवार, खुंखरी इत्यादि) को अपने कब्जे में लेकर अपने - अपने मंदिरों में रखा गया ! बौल मेला के अवसर पर सभी प्रकार के , अस्त्र -शास्त्र का प्रदर्शन और युद्ध क्षेत्र के अभिनय का प्रदर्शन देवता साहब द्वारा किया गया। बौल मे ला 2025 व युगों आयोजित म मेंले में बद्रीनारायण उरनी दने पूरे गांव की परिक्रमा करके पूजा पाठ के साथ अपनी निश्चित स्थान पर युद्ध की कौशलता का अभिन्य प्रदर्शित किया ।मेले का समापन देवता उरनी केजयकारों के नारे से किया गया । यह जानकारी राजेंद्र सिंह नेगी मंदिर मोह्तमी बद्रीनारायण उरनी ने दिया ।
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