लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में खुद मैदान में उतरेंगे या नहीं, इस पर उन्होंने एक बड़ा सियासी संकेत देते हुए फिलहाल सस्पेंस बनाए रखा है। उनका अंतिम निर्णय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीटों के बंटवारे के बाद ही होगा। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी और वे स्वयं बिहार की राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
हालिया बयानों में, चिराग पासवान ने अपने चुनाव लड़ने की संभावना को सीधे तौर पर एनडीए के भीतर होने वाले सीट-बंटवारे के फॉर्मूले से जोड़ दिया है। उन्होंने कहा है, "पार्टी तय करेगी कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। मैं चुनाव लड़ूंगा या नहीं, यह भी सीटों के बंटवारे के बाद ही तय होगा।" इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक एक सोची-समझी रणनीति के तौर पर देख रहे हैं, जिसका उद्देश्य सीट-बंटवारे की बातचीत में अपनी पार्टी के लिए एक मजबूत हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है।
गौरतलब है कि इससे पहले चिराग पासवान ने कई मौकों पर यह ऐलान किया था कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने यहां तक कहा था कि "चिराग पासवान 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा," जिसका प्रतीकात्मक अर्थ यह था कि उनका प्रभाव और उनकी पार्टी की उपस्थिति पूरे प्रदेश में रहेगी। इन बयानों ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी थी और यह संकेत दिया था कि वे बिहार की राजनीति में सक्रिय रूप से अपनी भूमिका बढ़ाना चाहते हैं।
इस बीच, ऐसी भी अटकलें हैं कि यदि चिराग पासवान खुद चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो वे अपनी पार्टी के किसी अन्य वरिष्ठ नेता या अपने बहनोई अरुण भारती को आगे कर सकते हैं, जो हाल ही में जमुई से सांसद बने हैं।कुल मिलाकर, चिराग पासवान ने अपने चुनाव लड़ने के सवाल पर पत्ते अभी नहीं खोले हैं। उनका यह सस्पेंस भरा सियासी संकेत बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में सीटों के बंटवारे को और भी दिलचस्प बना गया है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि एनडीए का सीट-बंटवारा क्या रूप लेता है और उसके बाद चिराग पासवान का अंतिम फैसला क्या होता है।