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Bilateral meeting of PM Modi and Mark Carney, what agreements were made between India and Canada?
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पीएम मोदी और मार्क कार्नी की द्विपक्षीय बैठक, भारत-कनाडा के बीच क्या समझौते हुए?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 18 Jun 2025 10:56 AM IST
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लगभग एक साल की राजनयिक ठंडक और तनाव के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों में फिर से गर्माहट लौटती दिख रही है। इटली में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मुलाकात में कई अहम निर्णय लिए गए, जिनमें सबसे बड़ा फैसला दोनों देशों में नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति का रहा।
यह मुलाकात मई 2025 में मार्क कार्नी के कनाडा के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली औपचारिक बातचीत थी, जिसे बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने आपसी सम्मान, कानून के शासन, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे मूल सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले कुछ समय में रिश्तों में आई खटास को अब पीछे छोड़कर एक नई, भरोसेमंद और रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि यह बैठक भारत-कनाडा संबंधों में स्थिरता बहाल करने के लिए एक संतुलित रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि
“पहला और सबसे अहम कदम दोनों देशों की राजधानियों – नई दिल्ली और ओटावा – में उच्चायुक्तों की बहाली है। इससे आगे चलकर कई अन्य कूटनीतिक प्रयास भी किए जाएंगे।”
2023-24 में कनाडा और भारत के संबंधों में आई तल्खी के बाद दोनों देशों ने अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया था। इससे व्यापार, शिक्षा, वीज़ा और जनसंपर्क जैसी अनेक सेवाएं प्रभावित हुईं।
अब जब नए उच्चायुक्तों की बहाली पर सहमति बनी है, तो इसका सीधा असर दोनों देशों के नागरिकों, छात्रों, व्यापारियों और निवेशकों पर पड़ेगा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार,
“यह कदम एक सकारात्मक संकेत है कि भारत और कनाडा फिर से परस्पर संवाद और सहयोग के रास्ते पर लौटना चाहते हैं।”
इस उच्चस्तरीय बैठक में दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), खाद्य सुरक्षा, महत्वपूर्ण खनिजों और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर विशेष चर्चा की।
विक्रम मिस्री ने बताया कि दोनों पक्षों ने तय किया कि इन विषयों पर वरिष्ठ और कार्यकारी स्तर के तंत्र और संवादों को फिर से सक्रिय किया जाएगा।
“सभी चर्चाओं का उद्देश्य संबंधों को नई गति और नई दिशा देना है।”
कनाडा की कई कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं, और हजारों भारतीय छात्र, पेशेवर और व्यवसायी कनाडा में सक्रिय हैं। ऐसे में यह साझेदारी दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर मार्क कार्नी को उनकी चुनावी जीत की बधाई देते हुए कहा कि “भारत और कनाडा के संबंध कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमें साथ मिलकर लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवता को और मजबूत करना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि “भारत-कनाडा के बीच संबंधों को आगे ले जाने के लिए हमें संयुक्त रूप से ठोस कदम उठाने होंगे जिससे दोनों देशों के नागरिकों को सीधा लाभ मिले।”
पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि उनकी और कार्नी की साझेदारी से भारत-कनाडा रिश्ते एक नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे।
मुलाकात से पहले कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि
“G7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी करना सम्मान की बात है।”
उन्होंने कहा कि भारत 2018 से जी7 सम्मेलनों का हिस्सा रहा है, जो उसकी वैश्विक भूमिका और नेतृत्व को दर्शाता है।
कार्नी ने बताया कि वे भारत के साथ
“ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी बदलाव, आतंकवाद, और AI जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करने को तैयार हैं।”
हालांकि यह मुलाकात एक नई शुरुआत का प्रतीक है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि पिछली गलतफहमियों और अविश्वास की भरपाई अभी पूरी तरह नहीं हुई है।
फिर भी, उच्चायुक्तों की बहाली और संवाद की पुनः शुरुआत इस बात का संकेत है कि दोनों सरकारें अब आगे की ओर देखना चाहती हैं, न कि अतीत की ओर।
भारत और कनाडा के रिश्तों में अब संभावनाओं की नई सुबह देखी जा रही है। यदि इस विश्वास और संवाद को सही दिशा में ले जाया गया, तो यह साझेदारी आने वाले समय में वैश्विक मंचों पर भी मिसाल बन सकती है।
भारत-कनाडा संबंधों ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन G7 सम्मेलन में हुई यह मुलाकात बताती है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो कोई भी गतिरोध खत्म किया जा सकता है।
अब दोनों देशों की निगाहें उन ठोस कदमों पर हैं जो व्यापार, शिक्षा, तकनीक और जनसम्पर्क को नई ऊर्जा और स्थायित्व देंगे।
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