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Earthquake-Tsunami in Russia and Japan: India is not in the Ring of Fire but there is still danger, what did U
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Earthquake-Tsunami in Russia and Japan: Ring Of Fire में भारत नहीं फिर भी है खतरा,UNESCO ने क्या कहा?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Thu, 31 Jul 2025 11:57 AM IST
रूस के सुदूर पूर्व में स्थित कामचटका प्रायद्वीप में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आई सुनामी ने नौ माह पहले की उस अपील की याद ताजा कर दी, जब संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने दुनिया भर की सरकारों और नीति निर्माताओं से सुनामी से बचाव की तैयारियों में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया था। यूनेस्को ने यह भी कहा था, आने वाले महीना में भूकंप और सुनामी से पेसिफिक रिंग ऑफ फायर को बड़ा खतरा हो सकता है।द गार्जियन के अनुसार यूनेस्को 9 महीने पहले ही वैश्विक चेतावनी जारी कर दी थी कि अगले कुछ वर्षों में समुद्री-तटीय आबादी पर सुनामी का खतरा अप्रत्याशित रूप से बढ़ सकता है। फिलहाल 70 करोड़ लोग ऐसे तटीय क्षेत्रों में रहते हैं, जो सुनामी की चपेट में आ सकते हैं।
कामचटका प्रायद्वीप रूस के सबसे अधिक भूकंप-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।यह नॉर्थ अमेरिकन प्लेट और पेसिफिक प्लेट के मिलन बिंदु पर स्थित है। यहां 160 से अधिक ज्वालामुखी हैं, जिनमें से कई सक्रिय हैं। यहां 1952 में भी 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके बाद सुनामी आई थी। क्योंकि इस बार के भूकंप की गहराई सिर्फ 25 किलोमीटर थी, यानी यह उथला भूकंप था जिससे पूरे रिंग ऑफ फायर की जमीन पर झटके और नुकसान की आशंका कई गुना बढ़ गई। इसके बाद लगातार 6.2 से 7.1 तीव्रता तक के 15 से अधिक आफ्टरशॉक्स आ चुके हैं। रूस ने पूर्वी सुदूर क्षेत्र में आपात स्थिति घोषित कर दी है, वहीं जापान और अमेरिका के पश्चिमी तटीय इलाकों में सूनामी चेतावनी जारी की गई है।भारत भले ही 'रिंग ऑफ फायर' में नहीं आता, लेकिन इस भूकंपीय गतिविधि से वैश्विक स्तर पर भूगर्भीय असंतुलन का जोखिम बढ़ता है। भारतीय सागर क्षेत्र में भी टेक्टोनिक दबाव बढ़ सकता है। चक्रवातीय और जलवायु असामान्यताएं आने वाले हफ्तों में देखी जा सकती हैं।
भूकंपीय अनुसंधान केंद्रों ने भी भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालयी बेल्ट पर नजर रखने की सिफारिश की है। क्षेत्र में हर 1-2 साल में एक विनाशकारी स्थानीय सुनामी आती है, जबकि भूमध्यसागर में अगले 30 वर्षों में सुनामी की संभावना लगभग 100 प्रतिशत है। यह वैश्विक जोखिम अब और अधिक निकट और वास्तविक प्रतीत हो रहा है। रूस के सुदूर पूर्व में स्थित कामचाटका प्रायद्वीप में बुधवार को धरती बुरी तरह कांप उठी. सुबह-सुबह यहां 8.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप दर्ज किया गया, जिसे साल 1952 के बाद अब तक का सबसे शक्तिशाली बताया जा रहा है. इस झटके ने पूरे प्रशांत क्षेत्र को दहला दिया है. भूकंप के तुरंत बाद रूस, जापान और अमेरिका (हवाई, कैलिफोर्निया, वाशिंगटन सहित) कई देशों ने तटीय इलाकों में सुनामी अलर्ट जारी कर दिया. रूस का बंदरगाह शहर सेवेरो-कुरील्स्क समुद्री लहरों की चपेट में आ गया है. कई फीट ऊंची लहरें शहर के किनारों से टकराती देखी गईं. राहत एजेंसियों ने समय रहते सैकड़ों लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. कई तटीय शहरों में बंदरगाह, होटल और एयरपोर्ट बंद कर दिए गए हैं. जापान में हाई अलर्ट है. वहां के तटीय शहरों में लोगों को तुरंत ऊंची जगहों की ओर जाने की चेतावनी दी गई है.
रूस के कमचात्का प्रायद्वीप के पास आए 8.8 तीव्रता के भीषण भूकंप ने पूरे प्रशांत महासागर क्षेत्र को हिला कर रख दिया. जापान, हवाई, अमेरिका के पश्चिमी तटीय राज्यों और दर्जनों प्रशांत द्वीप देशों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई. भूकंप के तुरंत बाद रूस के तटीय इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए और लोग डर के मारे ऊंचाई की ओर भागने लगे. जापान के उत्तरी तट पर झागदार लहरें टकराईं, वहीं हवाई की राजधानी में तटों से भागते लोगों के कारण ट्रैफिक जाम हो गया. मिडवे एटोल से मिले आंकड़ों के मुताबिक, हवाई में लहरों की ऊंचाई 6 फीट तक पहुंच गई. गवर्नर जोश ग्रीन ने चेतावनी दी कि ये लहरें ‘तीन फीट की ऊंचाई पर मौजूदा लहरों के ऊपर सवार होकर’ और भी विनाशकारी रूप ले सकती हैं.
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