हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से जगह-जगह भूस्खलन की वजह से कई सड़कें ठप हो गईं हैं, जिससे आवागमन बाधित हो रहा है और काफी नुकसान भी हुआ है। गुरुवार सुबह 10:00 बजे तक राज्य में एक नेशनल हाईवे सहित 227 सड़कें बाधित रहीं। इसके अतिरिक्त 52 बिजली ट्रांसफार्मर व 137 जल आपूर्ति योजनाएं भी प्रभावित हैं। आपदा प्रभावित मंडी जिले में सबसे अधिक 151 सड़कें व 119 जल आपूर्ति स्कीमें ठप हो गईं हैं।
आपको बता दें कि नकरोड़-चांजू-देहरा संपर्क सड़क पर टेपा में पहाड़ी दरकने से यातायात बाधित हो गया। सड़क बंद होने से वाहनों की कतारें लग गईं। इससे ग्रामीणों और राहगीरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोक निर्माण विभाग के एसडीओ संजीव अत्री ने बताया कि मशीनरी मौके पर तैनात है। बीते 24 घंटों के दौरान नाहन में 67.3, धौलाकुआं 58.5, पांवटा साहिब 56.4, पंडोह 39.0, कोठी 38.0, जटौन बैराज 26.0, धर्मशाला 17.1, पालमपुर 14.6, संधोल 7.6, जोत 7.2, चंबा 6.0 व निचार में 5.0 मिलीमीटर बारिश हुई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के कई भागों में 23 जुलाई तक बारिश का दौर लगातार जारी रहेगा।
शिमला के बेमलोई में भी भूस्खलन हुआ। वहीं, सतलुज नदी का जल प्रवाह लगातार बढ़ रहा है। इसलिए नाथपा बांध से अतिरिक्त पानी सतलुज नदी में छोड़ा जा रहा है। प्रबंधन ने सभी से निवेदन किया है कि सतलुज नदी के किनारे न जाएं व सुरक्षित दूरी बनाए रखें। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के 16 से 20 जुलाई तक कुछ स्थानों पर भारी बारिश का येलो अलर्ट है। जबकि 21 व 22 जुलाई को कई स्थानों पर भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
इस मानसून सीजन में 20 जून से 16 जुलाई तक राज्य में बादल फटने, बाढ़, भूस्खलन सहित अन्य कारणों से 109 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। 199 लोग घायल हुए हैं। अभी भी 35 लोग लापता हैं। 45 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई है। मानसून सीजन में अब तक करीब 1332 कच्चे-पक्के मकानों, दुकानों को क्षति पहुंची है। 894 गोशालाएं भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। 1228 पालतु पशुओं की मौत हुई है।