एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं, "संभल मस्जिद को लेकर मुक़दमा चल रहा है। हमारी मस्जिदें छीनी जा रही हैं। इस देश में कोई 'आई लव मोदी' तो कह सकता है, लेकिन 'आई लव मोहम्मद' नहीं। आप इस देश को कहाँ ले जा रहे हैं? अगर कोई 'आई लव मोदी' कहता है, तो मीडिया भी खुश हो जाता है। अगर कोई 'आई लव मोहम्मद' कहता है, तो उस पर आपत्ति होती है। अगर मैं मुसलमान हूँ, तो मुहम्मद की वजह से हूँ। देश की आज़ादी में हिस्सा लेने वाले 17 करोड़ भारतीयों के लिए इससे बढ़कर कुछ नहीं है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पुलिस सिर्फ़ सत्ता में बैठे लोगों के प्रति जवाबदेह होती है, किसी और के प्रति नहीं। अगर आप उनके पोस्टर लगाते हैं, तो आपको उनका सम्मान करना होगा। इतने सारे क़ानून बना रहे हैं, और क्या हो रहा है? असम में 3000 मुसलमानों को बेघर कर दिया गया, यह दावा करते हुए कि निर्माण सरकारी ज़मीन पर था.हमें इस स्थिति से परेशान नहीं होना चाहिए। हमें धैर्य से काम लेना होगा। हमें सब कुछ क़ानून के दायरे में रहकर करना चाहिए। क़ानून को अपने हाथ में न लें। जब आप क़ानून के दायरे में काम करेंगे, तो आपको एहसास होगा कि कानून तो बस एक मकड़ी का जाल है और कुछ नहीं
ओवैसी ने इस बात पर आपत्ति जताई कि अगर 'आई लव मोदी' या अन्य नेताओं के जन्मदिन के पोस्टर लगाने की अनुमति है, तो 'आई लव पैगंबर मुहम्मद' के पोस्टर पर आपत्ति क्यों है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) का हवाला देते हुए कहा कि पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत करना हर मुसलमान के ईमान का हिस्सा है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर चुनिंदा प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई 'आई लव महादेव' ग्रुप है तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।यह विवाद तब शुरू हुआ जब कानपुर में एक धार्मिक जुलूस के रास्ते पर 'आई लव मोहम्मद' लिखे बोर्ड लगाए गए, जिस पर कुछ हिंदू समूहों ने आपत्ति जताई थी और पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की थी।