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K-Visa vs H-1B Visa: Will China's K-Visa be able to replace America's H-1B?
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क्या ये अमेरिका के एच-1बी की जगह ले पाएगा चीन का के-वीजा?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 01 Oct 2025 02:29 PM IST
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क्या चीन ने अमेरिका को सीधी चुनौती दी है? क्या यह नई वीजा नीति वैश्विक टैलेंट युद्ध की शुरुआत है? अक्तूबर की शुरुआत में लागू हुआ चीन का नया K-Visa नियम यही सवाल खड़े कर रहा है। जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा के खर्च को बढ़ाकर विदेशी टैलेंट के लिए रास्ता मुश्किल बना दिया, वहीं चीन ने विदेशी वैज्ञानिकों और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स के लिए अपने दरवाजे और भी ज्यादा खोल दिए हैं। यह कदम न सिर्फ अमेरिका की नीति का जवाब माना जा रहा है, बल्कि चीन की नई महत्वाकांक्षी रणनीति का हिस्सा भी है।
क्या है चीन का K-Visa?
चीन ने अपनी नई नीति के तहत विदेशी युवाओं, खासकर विज्ञान और तकनीक से जुड़े पेशेवरों के लिए K-Visa लागू किया है। यह वीजा उन्हें चीन में काम करने, रिसर्च करने और यहां तक कि स्टार्टअप शुरू करने की भी छूट देगा।
• K-Visa के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रतिभाशाली युवाओं के लिए चीन में आना और काम करना आसान हो जाएगा।
• उत्कृष्ट युवा वैज्ञानिक परियोजना के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष और प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम के लिए अधिकतम सीमा 45 वर्ष तय की गई है।
• वीजा धारकों को शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में काम करने की अनुमति होगी।
पहले चीन में 2013 से 12 तरह के वीजा मान्य थे, जिनमें जेड (काम के लिए), एक्स (पढ़ाई के लिए), एम (बिजनेस) और क्यू (परिवार से मिलने) शामिल थे। लेकिन K-Visa को इनमें एक नए अनुच्छेद के रूप में जोड़ा गया है।
आवेदन के लिए योग्यता
K-Visa के लिए आवेदन करने वाले युवाओं के पास
• किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या अनुसंधान संस्थान से STEM (विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, गणित) क्षेत्र में न्यूनतम स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
• साथ ही उन्हें STEM से जुड़े किसी संस्थान या शोध केंद्र में काम करने का अनुभव होना चाहिए।
इससे साफ है कि चीन ने इस वीजा को सीधे-सीधे उच्च कौशल वाले विदेशी युवाओं को आकर्षित करने के लिए बनाया है।
क्यों लाया गया K-Visa?
विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन का यह कदम उसकी 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसमें विज्ञान और टेक्नोलॉजी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने और नवाचार को मजबूत करने की बात कही गई थी।
• चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को एक टेक्नोलॉजी हब के रूप में स्थापित करना चाहता है।
• अमेरिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की डिग्री लेने वालों की रुचि 25% घटी है, वहीं चीन में इसकी लोकप्रियता 88% बढ़ी है।
• चीन इसे एक मौके के रूप में देख रहा है और दुनिया की बेहतरीन प्रतिभाओं को अपने यहां बुलाना चाहता है।
चार्ल्स सन, जो चीन एजुकेशन इंटरनेशनल के निदेशक हैं, कहते हैं – “यह सिर्फ व्यापार का मामला नहीं है, बल्कि दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली दिमागों को प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से आकर्षित करने का प्रयास है।”
क्या K-Visa से चीन को मिलेगा टैलेंट?
अमेरिकी नीतियों के कारण विदेशी पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी पाना मुश्किल होता जा रहा है। ट्रंप प्रशासन के नए नियम के तहत एच-1बी वीज़ा के लिए कंपनियों को अब एक लाख डॉलर तक की लागत उठानी होगी। इससे कई कंपनियां विदेशी टैलेंट रखने से कतराएंगी।
ऐसे में चीन का K-Visa एक नया विकल्प बनकर उभरा है।
• सिंगापुर के प्रोफेसर लियू हांग का मानना है कि ट्रंप की कड़ी नीतियों के कारण कई विदेशी चीन का रुख कर सकते हैं।
• हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि K-Visa को अमेरिका के H-1B वीजा का सीधा विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका सबसे ज्यादा फायदा विदेश में बसे दूसरी पीढ़ी के चीनी युवाओं को होगा, जो विज्ञान और तकनीक में काम कर रहे हैं।
क्या K-Visa लेगा H-1B की जगह?
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका का H-1B और चीन का K-Visa एक-दूसरे के विकल्प नहीं हैं।
• अमेरिका का H-1B वीजा नियोक्ता के प्रायोजन पर आधारित है और इसमें शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और न्यूनतम वेतन जैसी शर्तें होती हैं।
• चीन का K-Visa अपेक्षाकृत सरल है और इसका फोकस खासतौर पर रिसर्च, स्टार्टअप और तकनीकी नवाचार पर है।
चीन का K-Visa वैश्विक टैलेंट मार्केट में एक बड़ा दांव है। जहां अमेरिका अपनी नीतियों से विदेशी पेशेवरों को सीमित कर रहा है, वहीं चीन उनके लिए नए अवसर पैदा कर रहा है।
हालांकि, इसे अमेरिका के H-1B वीजा का विकल्प कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन इतना तय है कि यह नीति आने वाले समय में चीन को विज्ञान और टेक्नोलॉजी में और ज्यादा मजबूत बना सकती है।
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