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Justice Yashwant Verma Case: What has been said against Justice Yashwant Verma in the case
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Justice Yashwant Varma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ क्या है केस, रिपार्ट में क्या कहा गया?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: सत्यम दुबे Updated Fri, 20 Jun 2025 03:11 PM IST
नई दिल्ली में इसी साल के मार्च महीने में दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जज यशवंत वर्मा के घर से जले हुए नोट मिलने की तस्वीरें सामने आई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के लिए एक तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया, जिसने 10 दिन की जांच के बाद रिपोर्ट तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपी गई। अब इसी रिपोर्ट की एक कॉपी वायरल हो रही है। इसके अंत में लिखा गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोप इतने गंभीर हैं कि जज को हटाने के लिए कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
56 साल के जस्टिस यशवंत वर्मा को अक्तूबर 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा ने 8 अगस्त 1992 को वकील के रूप में नामांकन कराया था। 13 अक्तूबर 2014 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 1 फरवरी 2016 को जस्टिस वर्मा स्थायी न्यायाधीश बने। 11 अक्तूबर 2021 को जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे।
23 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले के पास कूड़े के ढेर में 500-500 के जले नोट मिले। इस मामले में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर कुछ कहेंगे। वहीं, 24 मार्च को जस्टिस वर्मा से अगले आदेश तक के लिए न्यायिक जिम्मेदारियां ले ली गईं।
जस्टिस वर्मा से जुड़े कैशकांड की जांच के लिए तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को पैनल गठित किया। पैनल में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरमण शामिल थीं। इस पैनल ने जांच के जरिए कई सवालों के जवाब सामने रखे। जजों के पैनल ने 10 दिन जांच की। 55 गवाहों से पूछताछ की गई। जस्टिस वर्मा के घर पर जिस जगह आग लगी थी, पैनल के सदस्यों ने उस जगह का भी दौरा किया। सबूतों और गवाहों के बयान को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए जस्टिस वर्मा को भेजा गया।
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