सरकारी आवास से जली नकदी का ढेर मिलने की वजह से विवादों में आए हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ राज्यसभा की जगह लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी है। सरकार की ओर से लाए जाने वाले प्रस्ताव पर सत्तारूढ़ एनडीए के कई सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। प्रस्ताव पर सभी विपक्षी दलों के सांसदों का भी हस्ताक्षर कराने की सरकार की योजना है। इसके लिए सरकार जल्द ही विपक्षी दलों से बातचीत शुरू करने वाली है। जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से जली नकदी का ढेर बरामद होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था।
इस जांच समिति में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की जज अनु शिवरामन शामिल थीं। इस जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट 4 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपी। जिसे जस्टिस खन्ना ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा था। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए।
14 मार्च की रात 11 बजकर 35 मिनट पर दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास (30 तुगलक क्रेसेंट) में आग लग गई। दमकल कर्मियों और पुलिस ने आग बुझाई, लेकिन जब वे अंदर पहुंचे, तो वहां आधी जली हुई बड़ी मात्रा में 500 रुपए के नोट पड़े मिले। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे देखकर हैरानी जताई और कहा कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतनी नकदी एक साथ देखी। मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया।
इसके बाद नकदी बंगले के स्टोर रूम में कैसे पहुंची? नकदी का स्रोत क्या था? 15 मार्च की सुबह इसे वहां से किसने हटाया? इन तीन बिंदुओं पर जांच की गई। जांच रिपोर्ट सामने आई तो सभी हैरान रह गए। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि नकदी जस्टिस वर्मा के अधिकृत बंगले के स्टोर रूम में मिली थी। स्टोर रूम पर वर्मा और उनके परिवार का प्रत्यक्ष नियंत्रण पाया गया। रात के समय आग लगने के बाद, 15 मार्च की सुबह नकदी को वहां से हटाया गया, यह मजबूत परिस्थितिजन्य साक्ष्य से सिद्ध हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस वर्मा की तरफ से दिए गए स्पष्टीकरण, जैसे CCTV निगरानी और सुरक्षा नियंत्रण, अविश्वसनीय पाए गए।
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