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US declares TRF of Lashkar-e-Taiba, accused of Pahalgam Attack, a foreign terrorist organization
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Pahalgam Attack के दोषी Lashkar-e-Taiba के TRF को अमेरिका ने घोषित किया विदेशी आतंकी संगठन
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 18 Jul 2025 10:02 AM IST
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के शांत और सुरम्य पहलगाम में जो हुआ, उसने पूरे भारत को झकझोर दिया। 26 निर्दोष नागरिकों की जान लेने वाले उस कायराना आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेते हुए ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ यानी TRF ने खुद को एक बार फिर भारत का दुश्मन साबित किया। लेकिन अब इस हमले का जवाब केवल भारत की सरहद के भीतर से नहीं, बल्कि सात समंदर पार अमेरिका से भी आया है।
गुरुवार को अमेरिका ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े TRF को विदेशी आतंकी संगठन (Foreign Terrorist Organization - FTO) घोषित कर दिया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रेस वार्ता में कहा कि यह निर्णय न केवल अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि यह भारत के साथ उसके रणनीतिक सहयोग का स्पष्ट संकेत भी है।
विदेश मंत्री रुबियो ने कहा, “पहलगाम हमला 2008 के मुंबई हमले के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला है। इस कृत्य के लिए TRF को वैश्विक आतंकी घोषित कर न्याय सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि TRF को विशेष रूप से चिन्हित वैश्विक आतंकी (Specially Designated Global Terrorist - SDGT) के रूप में भी चिह्नित किया गया है। इसका मतलब यह है कि TRF से जुड़े सभी नाम, संपत्तियां और लेन-देन अब अमेरिकी निगरानी और प्रतिबंधों के दायरे में आएंगे।
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) पहले ही TRF के मुखिया शेख सज्जाद गुल को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड बता चुकी है। सज्जाद गुल लंबे समय से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POJK) में बैठकर भारत में आतंकी गतिविधियों को संचालित करता रहा है।
पिछले दो वर्षों में TRF ने जम्मू-कश्मीर, पुंछ, राजौरी और उधमपुर में हुए कई हमलों की जिम्मेदारी ली है। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही एक आधुनिक और सोशल मीडिया-संचालित मुखौटा माना जाता है।
पहलगाम हमले के बाद देश में गुस्से की लहर थी। लेकिन भारतीय सेना ने बदले की भावना से नहीं, रणनीति से जवाब दिया। 6 और 7 मई की दरम्यानी रात सेना ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नौ आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी सटीक कार्रवाई की।
सेना के सूत्रों के अनुसार, इन हमलों में TRF के कई ट्रेनिंग कैंप्स, कम्युनिकेशन हब और हथियारों के गोदामों को तबाह कर दिया गया। इन ठिकानों का संचालन सीधे लश्कर-ए-तैयबा की मदद से होता था।
भारत ने सैन्य जवाब के साथ-साथ कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरने की रणनीति अपनाई। 51 सांसदों, पूर्व मंत्रियों, वरिष्ठ राजनयिकों और नौकरशाहों का एक प्रतिनिधिमंडल 33 देशों की राजधानी पहुंचा। इस टीम ने अल्जीरिया, डेनमार्क, फ्रांस, इथियोपिया, ब्रिटेन, इटली, जापान, रूस, यूएई, कतर जैसे देशों में जाकर पाकिस्तान की आतंकी संरक्षक भूमिका को उजागर किया।
‘टीम इंडिया’ ने हर मंच पर बताया कि पाकिस्तान किस तरह आतंकी संगठनों को शह देता है और भारत में शांति भंग करने की कोशिश करता है।
इस कार्रवाई के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने बयान जारी कर कहा कि
“अमेरिका की यह घोषणा वैश्विक मंच पर आतंक के खिलाफ भारत के संघर्ष को मान्यता देती है। इससे भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी मिला है।”
भारत सरकार की कोशिश अब संयुक्त राष्ट्र में TRF को UN Designated Terror Group घोषित कराने की है। इस प्रस्ताव को फ्रांस और ब्रिटेन का भी समर्थन मिलने की संभावना जताई जा रही है।
देश के नागरिकों के लिए यह खबर राहत की तरह आई है। सोशल मीडिया पर #JusticeForPahalgam ट्रेंड कर रहा है। कई यूजर्स ने लिखा कि “अब केवल शब्द नहीं, कार्रवाई हो रही है।”
गौरतलब है कि TRF की स्थापना 2019 में हुई थी, लेकिन 2022 के बाद यह संगठन बेहद सक्रिय हो गया। यह सोशल मीडिया पर फर्जी नामों से युवाओं को कट्टरपंथ के लिए बरगलाने में लिप्त है। भारत पहले से ही इस संगठन को प्रतिबंधित कर चुका है।
पहलगाम हमले के बहाने एक बार फिर पाकिस्तान का आतंक पर दोहरा चरित्र सामने आ गया है। लेकिन इस बार फर्क यह है कि भारत अकेला नहीं है। अमेरिका से लेकर फ्रांस तक और जापान से लेकर खाड़ी देशों तक, अब भारत की बात सुनी जा रही है।
अमेरिका द्वारा TRF को आतंकी संगठन घोषित करना सिर्फ एक कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ एक वैश्विक गठबंधन की शुरुआत है — जिसमें भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
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