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मोदी सरकार ने तैयार किया ट्रंप के टैरिफ का तोड़
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 27 Aug 2025 02:32 PM IST
अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए टैरिफ के खिलाफ भारत ने अब आर-पार की तैयारी कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक अहम मैराथन बैठक की, जिसमें वित्त मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के साथ रणनीति तैयार की गई। बैठक में यह स्पष्ट कर दिया गया कि भारत किसी भी कीमत पर अमेरिकी दबाव में नहीं झुकेगा और न ही किसी शर्त के आगे सिर झुकाएगा।
इस उच्चस्तरीय बैठक का मुख्य एजेंडा था – प्रभावित उद्योगों को राहत देना और अमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटाना। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सहमति बनी कि निर्यातकों और कामगारों को कम से कम 6 महीने का राहत पैकेज दिया जाएगा। यह पैकेज इस हफ्ते के अंत तक घोषित हो सकता है।
कौन-कौन से सेक्टर प्रभावित?
अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा झटका कपड़ा, चमड़ा, रसायन, प्लास्टिक और खिलौना उद्योग को लगा है। इन सेक्टरों पर अमेरिका भारत से भारी आयात करता रहा है, लेकिन टैरिफ बढ़ने के बाद लागत बढ़ने से भारतीय उत्पाद वहां कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। सरकार का मानना है कि यदि समय रहते विकल्प नहीं खोजे गए, तो लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
सरकार की रणनीति के तहत, प्रभावित उद्योगों को कई स्तरों पर सहारा दिया जाएगा। पैकेज में शामिल मुख्य बिंदु:
• आपातकालीन ऋण: प्रभावित उद्यमियों को कम ब्याज दर पर तात्कालिक कर्ज।
• एकमुश्त राहत: एक्सपोर्ट ऑर्डर कैंसिल होने पर नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक सहायता।
• कामगारों की सुरक्षा: बड़े पैमाने पर छंटनी रोकने के लिए वेतन सहायता और स्किल अपग्रेडेशन प्रोग्राम।
• नई बाजार तलाशने तक सुरक्षा: सरकार नए देशों से डील फाइनल होने तक इन उद्योगों को सब्सिडी और टैक्स रियायतें देगी।
सूत्रों के अनुसार, इस पैकेज की शुरुआती अवधि 6 महीने होगी, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
भारत अमेरिकी टैरिफ को सिर्फ झटका मानकर नहीं चल रहा, बल्कि इसे अवसर में बदलने की तैयारी कर रहा है। सरकार का फोकस है कि भारतीय उत्पादों को नए बाजार मिलें। इसी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने चीन और जापान की यात्रा करेंगे।
• चीन के साथ बातचीत: कई स्तरों पर चर्चा जारी है ताकि भारतीय सामान के लिए वहां बड़ा बाजार खुल सके।
• जापान का बड़ा निवेश: जापानी कंपनियों ने भारत में निवेश का भरोसा जताया है। खासकर, सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने मंगलवार को भारत में 70 हजार करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा की।
• रूस और यूक्रेन से डील की तैयारी: आने वाले महीनों में पुतिन और जेलेंस्की भारत आएंगे। निर्यात बढ़ाने और अमेरिकी निर्भरता घटाने के मुद्दों पर बातचीत होगी।
मोदी सरकार का रुख साफ है – अमेरिका के टैरिफ के सामने झुकना कोई विकल्प नहीं। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “अगर हम अभी दबाव में आए, तो भविष्य में हर बार अमेरिका मनमाने फैसले करेगा। हमें अपने निर्यातकों के लिए सुरक्षित और स्थायी रास्ता तैयार करना होगा।”
सरकार का आकलन है कि अमेरिकी टैरिफ का असर सिर्फ 6 महीने तक रह सकता है, अगर भारत समय रहते नए बाजारों में प्रवेश कर ले। यही वजह है कि राहत पैकेज को अल्पकालिक लेकिन प्रभावी रखने की तैयारी है।
निर्यातक संगठनों ने सरकार से राहत की मांग की थी। उनका कहना था कि अमेरिकी टैरिफ से अचानक ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं और कई कंपनियां उत्पादन घटाने पर मजबूर हैं। सरकार के प्लान से उन्हें बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के एक अधिकारी ने कहा, “अगर पैकेज समय पर आया और नए बाजार खुले, तो हम इस संकट से निकल सकते हैं। सबसे जरूरी है कि कामगारों की नौकरी सुरक्षित रहे।”
अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए एक बड़ा झटका जरूर है, लेकिन सरकार की रणनीति से यह संकट अवसर में बदल सकता है। मोदी सरकार का लक्ष्य साफ है – अमेरिकी निर्भरता कम करना, निर्यातकों और कामगारों को तुरंत सहारा देना और भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती देना। आने वाले कुछ हफ्ते इस रणनीति की सफलता तय करेंगे।
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