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Owaisi against Mahagathbandhan in Bihar elections! Why did he corner the Election Commission on SIR?
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बिहार चुनाव में महागठबंधन के खिलाफ ओवैसी! SIR पर चुनाव आयोग को क्यों घेरा?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 14 Jul 2025 06:23 PM IST
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले सियासी तापमान तेजी से बढ़ रहा है। अब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इंडिया ब्लॉक पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि “एकतरफा मोहब्बत नहीं हो सकती।” ओवैसी ने कहा कि उनके और उनकी पार्टी के खिलाफ जो आरोप लगाए गए, वे झूठे और साजिशन थे।
ओवैसी ने कहा कि बिहार की जनता को यह समझना चाहिए कि ये आरोप सिर्फ इसलिए लगाए गए ताकि गरीबों और कमजोर वर्गों का नेतृत्व कोई ताकतवर आवाज न कर सके। उन्होंने कहा – “हम पर झूठे आरोप इसलिए लगाए गए, ताकि हम सीमांचल की आवाज न बन पाएं। ये लोग बिहार को अपनी जागीर समझते हैं।”
ओवैसी के इस बयान के साथ ही AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने भी एक और बड़ा बयान दिया।
उन्होंने कहा कि “तीसरे मोर्चे के गठन की कोशिश होनी चाहिए।”
AIMIM अब पूरी ताक़त से चुनाव लड़ने की बात कह रही है, जिससे ये साफ है कि पार्टी किसी भी गठबंधन में बिना सम्मानजनक जगह के शामिल नहीं होगी।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर भी ओवैसी ने चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया।
AIMIM प्रमुख ने यह भी मांग की कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की पूरी सूची सार्वजनिक की जाए,
ताकि लोग जान सकें कि विदेशियों की पहचान का खेल किनके जरिए खेला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि “हमारे कार्यकर्ता बीएलओ से जाकर पूछेंगे कि नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश से आए लोगों की सूची कहां है? संसद में भी बताया गया कि 2016, 2017, 2019 में एक भी विदेशी नागरिक नहीं मिला था।”
ओवैसी ने जिस अंदाज में इंडिया ब्लॉक को ललकारा है और SIR जैसे मुद्दों पर संवैधानिक सवाल खड़े किए हैं, वह आने वाले बिहार चुनाव में तीसरे मोर्चे की भूमिका और सीमांचल की सियासत को केंद्र में लाने का इशारा है।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या AIMIM किसी नए गठबंधन का हिस्सा बनती है या अकेले चुनावी मैदान में उतरकर एक बार फिर सीमांचल में नया सियासी समीकरण बनाती है।
ओवैसी ने कहा, हम मांग करते हैं कि उन बीएलओ (बीएलओ) की सूची सार्वजनिक की जाए। हम अपने कार्यकर्ताओं से कहेंगे कि वे उन बीएलओ से मिलें और पूछें कि नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश से आए हुए लोग कहां हैं, जिनकी बात की जा रही है। एसआईआर साल 2003 में भी हुआ था, तब कितने विदेशी नागरिक सामने आए थे? जुलाई 2019 में संसद में कानून मंत्री ने कहा था कि 2016, 2017 और 2019 में एक भी विदेशी नागरिक नहीं मिला। ये सूत्र बेशर्म हैं। एक सांविधानिक संस्था की प्रतिष्ठा को क्यों नुकसान पहुंचाया जा रहा है?
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