कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी द्वारा कोलंबिया में भारत के लोकतंत्र को लेकर दिए गए एक बयान पर देश में सियासी तूफान खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहुल गांधी पर विदेशी धरती से भारत को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला है। विशेष रूप से, भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी के बयानों की कड़ी निंदा की और उन पर "भारत का अपमान" करने का आरोप लगाया।
कोलंबिया की ईआईए यूनिवर्सिटी में एक संवाद कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा कि "भारत में लोकतंत्र पर चौतरफा हमला हो रहा है।" उन्होंने भारत की विविधतापूर्ण और विकेंद्रीकृत व्यवस्था की तुलना चीन की केंद्रीकृत प्रणाली से करते हुए कहा कि भारत की ताकत उसकी विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के संरक्षण में निहित है।
राहुल गांधी के इसी बयान के बाद भाजपा आक्रामक हो गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार करते हुए कहा, "राहुल गांधी जब भी विदेश जाते हैं, भारत का अपमान करते हैं। वह कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र नहीं है, जबकि सच यह है कि भारत में पूर्ण लोकतंत्र है और इसी लोकतंत्र के कारण वह सरकार और प्रधानमंत्री की आलोचना कर पाते हैं।"
प्रसाद ने आगे कहा, "राहुल गांधी और उनकी पार्टी को जनता चुनाव में खारिज कर रही है और इसी हताशा में वह विदेशी मंचों का इस्तेमाल देश को बदनाम करने के लिए कर रहे हैं।" उन्होंने राहुल गांधी को याद दिलाया कि वह एक विपक्षी दल के नेता हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
भाजपा सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में चीन की प्रशंसा करते हुए संकेत दिया कि भारत एक वैश्विक शक्ति नहीं बन सकता। प्रसाद ने इसे भारत की क्षमता पर सवाल उठाना और देश के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना बताया। उन्होंने कहा, "यह बेहद निंदनीय है। जब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी बनने की ओर अग्रसर है, तब इस तरह के बयान देश की प्रगति का अपमान हैं।"
भाजपा के अन्य नेताओं ने भी राहुल गांधी के बयान की आलोचना की है। इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर इस बहस को तेज कर दिया है कि क्या भारतीय नेताओं को विदेशी धरती पर देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करनी चाहिए। कांग्रेस ने अपने नेता का बचाव करते हुए कहा है कि राहुल गांधी ने केवल देश की वास्तविक स्थिति को बयां किया है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज उठाना कोई अपराध नहीं है। फिलहाल, इस मुद्दे पर दोनों प्रमुख दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।