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SC Hearing on SIR: Questions asked to Election Commission in court on ongoing voter revision in Bihar, what di
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SC Hearing on SIR:बिहार में जारी वोटर पुनरीक्षण पर कोर्ट में चुनाव आयोग से सवाल पूछे,EC ने क्या कहा?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Tue, 12 Aug 2025 03:47 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग की ओर से बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की पीठ ने राजद नेता मनोज झा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों से सुनवाई शुरू की। सिब्बल ने तर्क दिया कि एक निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव आयोग ने दावा किया था कि 12 लोग मृत थे, लेकिन वे जीवित पाए गए, जबकि एक अन्य मामले में जीवित लोगों को मृत घोषित कर दिया गया।चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस तरह के अभियान में कुछ खामियां होना स्वाभाविक है। यह दावा करना कि मृत लोगों को जीवित घोषित किया गया और जीवित लोगों को मृत घोषित किया गया, हमेशा सही किया जा सकता है, क्योंकि यह केवल एक मसौदा सूची है। पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि वह तथ्यों और आंकड़ों के साथ तैयार रहे, क्योंकि कोर्ट प्रक्रिया से पहले मतदाताओं की संख्या, पहले और अब मृतकों की संख्या और अन्य प्रासंगिक विवरणों पर सवाल उठाएगा।इससे पहले 29 जुलाई को चुनाव आयोग को एक संवैधानिक प्राधिकारी करार देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर बिहार में मतदाता सूची की एसआईआर में बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं, तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगी।
मसौदा सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की गई थी और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली है। विपक्ष का दावा है कि चल रही प्रक्रिया करोड़ों योग्य नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित कर देगी। वहीं इस दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस तरह के अभ्यास में कुछ खामियां होना स्वाभाविक है. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पहले यह स्पष्ट करें कि एसआईआर प्रक्रिया कानून के मुताबिक है या नहीं. उन्होंने कहा कि हमें बताएं कि ऐसी प्रक्रिया जारी की जा सकती है या नहीं. अगर आप कहते हैं कि ऐसी प्रक्रिया सशर्त योजना के तहत अनुमत है, तो हम प्रक्रिया पर विचार करेंगे. अगर आप कहते हैं कि यह संविधान में ही नहीं है तो फिर उस हिसाब से. सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि बड़े पैमाने पर बहिष्कार हुआ है. 65 लाख लोग बाहर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बड़े पैमाने पर हटाया जाना तथ्यों और आंकड़ों पर निर्भर करेगा. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि एक छोटे से निर्वाचन क्षेत्र में 12 लोग ऐसे हैं जिन्हें मृत दिखाया गया है, लेकिन वे जीवित हैं. बीएलओ ने कुछ नहीं किया है.
वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह तो बस एक ड्राफ्ट रोल है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें आपसे पूछना है कि कितने लोगों की पहचान मृत के रूप में हुई है. आपके अधिकारियों ने ज़रूर कुछ काम किया होगा. इपर द्विवेदी ने कहा कि इतनी बड़ी प्रक्रिया में कुछ न कुछ त्रुटियां तो होंगी ही. लेकिन मृत को जीवित कहना ठीक नहीं है.कपिल सिब्बल ने कहा कि जहां किसी वर्ष के लिए रोल का गहन पुनरीक्षण किया जाना है, वहां उसे नए सिरे से तैयार किया जाएगा. जस्टिस कांत ने कहा तो बस इतना अंतर है कि संक्षिप्त पुनरीक्षण के मामले में नियम 4(2) लागू नहीं होगा. सिब्बल ने कहा कि नियमों के अनुसार (निवासियों को) कोई पत्र या फॉर्म 4 नहीं भेजा जाएगा. कोई दस्तावेज़ नहीं लिए जाएंगे.
कपिल सिब्बल ने बेंच से कहा कि कृपया फॉर्म 5 देखें. यह एक नोटिस है जो उन्हें लगाना है. नियम 12 पर आएं. नए मतदाता के रूप में नाम दर्ज कराने का हर दावा फॉर्म 6 में होगा और आवेदक के हस्ताक्षर से भरा होगा. इसमें आधार विवरण लिखा है. यह एक गहन अभ्यास के लिए ज़रूरी है. आयु प्रमाण पत्र की स्व-सत्यापित प्रति, जन्मतिथि के प्रमाण के लिए दस्तावेज़ –आधार है – जिसे उन्होंने बाहर रखा है अगर कोई उपलब्ध नहीं है, तो कृपया जन्मतिथि और सामान्य निवास स्थान ही बताएं.
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