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रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, 5.5% पर रहेगी बरकरार
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 06 Aug 2025 12:18 PM IST
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मुंबई में आज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नीतिगत दरों की घोषणा की। बाजार की कुछ उम्मीदों के उलट, इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, और इसे 5.50% पर स्थिर रखा गया है।
इसका सीधा असर यह होगा कि ऋणों की ईएमआई में फिलहाल कोई राहत नहीं मिलेगी। हालांकि, केंद्रीय बैंक का यह कदम मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और घरेलू बाजार की स्थिरता को देखते हुए उठाया गया है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने ‘तटस्थ रुख’ बनाए रखने का निर्णय लिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि न तो अभी कोई कड़ा कदम उठाया जाएगा और न ही ढील दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि
“ब्याज दरों का फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और उसके भीतर की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।”
आरबीआई इससे पहले जून में 50 बेसिस प्वाइंट्स और अप्रैल में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर चुका है, लेकिन इस बार नीति दर को स्थिर बनाए रखना ही बेहतर समझा गया।
गवर्नर मल्होत्रा ने अपने संबोधन में कहा कि
“मध्यम अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था बदलती वैश्विक व्यवस्था के बीच अपनी मजबूती के साथ आगे बढ़ेगी।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि
• देश में अच्छा मानसून हुआ है
• आगामी त्योहारी सीजन आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देगा
• सरकार और आरबीआई की नीतियों से स्थिरता और समर्थन मिल रहा है
इन सबके चलते आर्थिक ग्रोथ को लेकर आरबीआई आशावादी नजर आ रहा है।
हालांकि गवर्नर ने वैश्विक भू-राजनीतिक संकट और व्यापारिक अस्थिरता की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि
“दुनिया के कई हिस्सों में जारी तनाव और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियां हमारे लिए सतर्क रहने का संकेत हैं।”
इसलिए नीतिगत स्थिरता को बनाए रखना ही वर्तमान में बेहतर रणनीति मानी गई है।
क्या होती है MPC और क्यों है यह बैठक अहम
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) में कुल 6 सदस्य होते हैं –
• 3 RBI के अधिकारी
• 3 भारत सरकार द्वारा नामित बाहरी विशेषज्ञ
इस समिति की बैठक हर दो महीने में होती है, जिसमें देश की मौद्रिक नीति दिशा, ब्याज दरें और मुद्रास्फीति नियंत्रण जैसे अहम फैसले लिए जाते हैं। इस बार की बैठक 4 अगस्त से शुरू हुई थी।
MPC की जिम्मेदारी होती है कि वह देश में आर्थिक स्थिरता बनाए रखे, मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखे और आर्थिक विकास को गति दे।
रेपो रेट में बदलाव नहीं होने के कारण
• होम लोन
• ऑटो लोन
• पर्सनल लोन
जैसे ब्याज दर आधारित ऋणों पर कोई असर नहीं होगा। यानी जो ग्राहक दरों में कटौती की उम्मीद लगाए बैठे थे, उन्हें फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा।
वैश्विक बाजार की अनिश्चितता, भूराजनीतिक तनाव और घरेलू आर्थिक संकेतकों के बीच आरबीआई का तटस्थ रुख संतुलन की नीति को दर्शाता है।
एक तरफ वह आर्थिक सुधारों को बनाए रखना चाहता है, तो दूसरी ओर मुद्रास्फीति पर भी पैनी नजर रखे हुए है।
त्योहारी मौसम से पहले यह फैसला यह भी दर्शाता है कि आरबीआई जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहता, बल्कि समय और परिस्थितियों को समझते हुए आगे बढ़ना चाहता है।
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