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What did Nepal's former CJI Sushila Karki say about PM Modi and India?
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नेपाल की पूर्व CJI सुशीला कार्की ने पीएम मोदी और भारत को लेकर क्या कहा?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 11 Sep 2025 05:38 PM IST
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नेपाल की राजनीति इस समय बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही है। केपी शर्मा ओली की सरकार गिरने के बाद नए नेतृत्व की तलाश में अचानक सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे निकल आया है। कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं और अब उन्हें जेन-जी आंदोलन का समर्थन मिला है। खास बात यह है कि हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ की है।
एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में सुशीला कार्की ने कहा-
“मैं प्रधानमंत्री मोदी को नमस्कार करती हूं। मेरे मन में उनके लिए अच्छी धारणा है और भारत के समर्थन की मैं प्रशंसा करती हूं।”
उनके इस बयान ने न केवल नेपाल बल्कि भारत की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है। नेपाल की सड़कों पर पिछले दिनों जिस जेन-जी आंदोलन ने सत्ता को हिला दिया था, उसी आंदोलन ने कार्की को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन देने का फैसला किया है।
कार्की ने बताया कि आंदोलन के युवाओं ने वर्चुअल बैठक में उनके नाम पर मतदान किया और उनसे थोड़े समय के लिए अंतरिम सरकार की कमान संभालने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा-
“मैंने आंदोलन के युवाओं के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। मेरी पहली प्राथमिकता आंदोलन में मारे गए युवाओं को श्रद्धांजलि देना होगी। इसके बाद हम मिलकर नेपाल को एक नई शुरुआत देने की कोशिश करेंगे।”
उनके इस रुख ने यह संकेत दिया है कि वे युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं को लेकर गंभीर हैं और भ्रष्टाचार तथा अस्थिरता के खिलाफ कड़े कदम उठाने को तैयार हैं।
कार्की ने भारत-नेपाल रिश्तों पर भी सकारात्मक टिप्पणी की। उन्होंने कहा-
“भारत के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान और प्यार है। भारत ने नेपाल की बहुत मदद की है और मैं इसकी सराहना करती हूं।”
यह बयान उस समय आया है जब नेपाल में विदेशी दखल की चर्चाएं तेज हैं और आंदोलन को लेकर अमेरिका व यूरोपीय एजेंसियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे माहौल में कार्की का भारत को प्राथमिकता देना दोनों देशों के रिश्तों में नई ऊर्जा भरने वाला कदम माना जा रहा है।
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के विराटनगर में हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र और कानून की पढ़ाई करने के बाद वकालत से अपने करियर की शुरुआत की। धीरे-धीरे वे न्यायपालिका में आगे बढ़ीं और सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
अपने कार्यकाल के दौरान कार्की ने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। इनमें चुनावी विवादों से जुड़े मामले भी शामिल थे। उन्होंने बार-बार यह साबित किया कि न्यायपालिका लोकतंत्र की रक्षा करने वाली एक अहम संस्था है और राजनीतिक दबावों के बावजूद न्याय का पक्ष लिया जा सकता है।
नेपाल में लंबे समय से अस्थिरता और भ्रष्टाचार की समस्या बनी हुई है। हाल के दिनों में जेन-जी आंदोलन ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया और सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया। आंदोलन ने जिस तरह से युवा पीढ़ी को एकजुट किया, उसने नेपाल की सत्ता को हिला दिया।
इसी आंदोलन ने अब कार्की के रूप में एक ऐसी शख्सियत को चुना है, जो न केवल न्यायपालिका में मजबूत छवि रखती हैं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी नेतृत्व देने का वादा भी कर सकती हैं।
यदि कार्की वास्तव में कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनती हैं, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी अशांति को शांत करना और राजनीतिक दलों के बीच संवाद स्थापित करना। भ्रष्टाचार पर काबू पाना, युवाओं की बेरोजगारी का समाधान करना और नेपाल की विदेशी नीति में संतुलन बनाए रखना भी उनकी प्राथमिकता होगी।
नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में सामने आना इस बात का संकेत है कि जनता अब परंपरागत नेताओं से हटकर साफ-सुथरी और ईमानदार छवि वाले नेतृत्व की तलाश कर रही है। भारत और पीएम मोदी की प्रशंसा कर उन्होंने यह भी दिखाया है कि भारत-नेपाल रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं।
अब देखना यह होगा कि नेपाल की यह नई राजनीतिक कहानी देश को स्थिरता और विकास की ओर ले जा पाती है या नहीं।
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