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जब ट्रंप करने लगे पीएम मोदी की तारीफ, खड़े रहे शहबाज शरीफ
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 14 Oct 2025 12:26 PM IST
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गाजा में इस्राइल और हमास के बीच दो साल से अधिक चले खूनी संघर्ष के बाद जब शांति समझौता हुआ, तो दुनिया ने राहत की सांस ली। मिस्र के शर्म अल-शेख शहर में इस मौके पर आयोजित गाजा शांति शिखर सम्मेलन में विश्व के दिग्गज नेता जुटे। इसी मंच पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की जमकर तारीफ की।
ट्रंप ने कहा, “भारत एक महान देश है और उसके शीर्ष पर मेरा एक बहुत अच्छा मित्र है, जिसने शानदार काम किया है। मुझे विश्वास है कि भारत और पाकिस्तान अब बहुत अच्छे से साथ रहेंगे।”
यह बयान ऐसे समय आया जब मंच पर ट्रंप बोल रहे थे और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ठीक उनके पीछे खड़े थे। दिलचस्प बात यह रही कि जब ट्रंप मोदी की प्रशंसा कर रहे थे, तब उन्होंने एक नजर शहबाज शरीफ की ओर भी डाली, जिस पर शरीफ मुस्कुरा दिए और सिर हिलाकर उनकी बात का स्वागत किया।
ट्रंप ने सम्मेलन के दौरान भावुक स्वर में कहा कि गाजा में वर्षों की पीड़ा, रक्तपात और विनाश के बाद अब “एक नया और खूबसूरत दिन” उग रहा है। उन्होंने कहा कि अब सैकड़ों ट्रक मानवीय सहायता, भोजन और दवाएं लेकर गाजा पहुंच रहे हैं।
“नागरिक अपने घर लौट रहे हैं, बंधकों का पुनर्मिलन हो रहा है… यह देखकर बहुत संतोष होता है कि अब पुनर्निर्माण शुरू हो चुका है,” ट्रंप ने कहा। उन्होंने बताया कि गाजा के पुनर्निर्माण के लिए सहयोग करने वाले देशों में भारत का नाम भी प्रमुख है।
ट्रंप ने अपने भाषण में एक वैश्विक संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि यह पल “मध्य पूर्व से परे, पूरी दुनिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण” है। उन्होंने साफ किया कि अमेरिका और सहयोगी देश अब किसी भी तरह के आतंक, घृणा या अतीत के रक्तपात को वित्तपोषित नहीं करेंगे।
उन्होंने आगे कहा “गाजा के पुनर्निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि इसे विसैन्यीकृत किया जाए और वहां एक ईमानदार नागरिक पुलिस बल की स्थापना की जाए। हम तीसरा विश्व युद्ध नहीं चाहते, और अगर हुआ भी तो यह मध्य पूर्व से शुरू नहीं होने वाला है।”
इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने किया। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश सौंपा।
सम्मेलन की मेजबानी संयुक्त रूप से अमेरिका और मिस्र ने की। इसमें इस्राइल, कतर, सऊदी अरब, जॉर्डन, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, चीन समेत 40 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
भारत की मौजूदगी को भले ही “सीमित स्तर” का कहा जा रहा हो, लेकिन कीर्ति वर्धन सिंह ने गाजा में शांति और मानवीय सहायता के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से इस्राइल-हमास युद्धविराम समझौते का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने देर रात जारी बयान में कहा-
“भारत ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि इससे पश्चिम एशिया में स्थायी शांति स्थापित होगी।”
भारत ने बातचीत के जरिये ‘दो राष्ट्र समाधान’ (Two-State Solution) के अपने दीर्घकालिक समर्थन को दोहराया। मंत्रालय ने कहा कि भारत राष्ट्रपति ट्रंप की शांति योजना का समर्थन करता है और मिस्र व कतर की भूमिका की सराहना करता है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सम्मेलन में कहा कि मध्य पूर्व में शांति स्थापित होने का श्रेय ट्रंप और उनकी टीम को जाता है। उन्होंने कहा-
“हमने पहले भी राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था, और अब हम दोबारा उन्हें नामित करना चाहते हैं। उन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया।” शरीफ के इस बयान को सम्मेलन में मौजूद नेताओं ने तालियों से स्वागत किया।
विशेषज्ञों का मानना है कि गाजा युद्धविराम सिर्फ एक सैन्य समझौता नहीं, बल्कि नई वैश्विक ध्रुवीकरण का संकेत है। अमेरिका इस समझौते के केंद्र में है, जबकि भारत को एक संतुलित और सहयोगी शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
ट्रंप द्वारा मोदी की खुली प्रशंसा और भारत की प्रतिबद्धता दोनों यह दर्शाते हैं कि भारत अब पश्चिम एशिया की शांति प्रक्रिया में एक “विश्वसनीय साझेदार” के रूप में उभर रहा है।
शर्म अल-शेख का यह सम्मेलन सिर्फ गाजा के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए भी ऐतिहासिक साबित हुआ। जहां ट्रंप ने शांति का नया अध्याय खोला, वहीं मोदी की तारीफ कर भारत की भूमिका को भी रेखांकित किया। गाजा में युद्ध थमा है, लेकिन इस शांति ने एक नया संदेश दिया है कूटनीति की शक्ति अब हथियारों से बड़ी है, और संवाद ही नया युद्धविराम है।
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