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Why did Farooq Abdullah say on Independence Day that this is a moment of grief?
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स्वतंत्रता दिवस के दिन फारूक अब्दुल्ला ने क्यों कहा ये गम का मौका है?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 15 Aug 2025 08:16 PM IST
देश 15 अगस्त का पर्व मना रहा था। तिरंगा लहर रहा था, लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों को भविष्य की योजनाओं का रोडमैप सुना रहे थे। चार जगह बादल फटने से मची तबाही में दर्जनों लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हैं और कई अब भी मलबे के नीचे दबे हैं।
इसी दर्दनाक स्थिति पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा-
“स्वतंत्रता दिवस मन गया है, मुबारक हो। मगर हमें गम भी है, क्योंकि मुझे लगता है कि किश्तवाड़ में मलबे के नीचे 500 से ज्यादा लोग दबे हुए हैं। यह गम का मौका भी है…”
उनके यह शब्द सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि उस त्रासदी का दर्द हैं, जिसने इस आज़ादी के दिन को कई परिवारों के लिए मातम में बदल दिया।
उत्तराखंड के धराली में नौ दिन पहले बादल फटने से मची तबाही से देश अब तक उबरा भी नहीं था कि किश्तवाड़ में प्रकृति का कहर टूट पड़ा। चिशोती कस्बे में गुरुवार को चार जगह बादल फटने की घटनाएं हुईं। शुरुआती आंकड़ों में 45 से 60 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से अधिकतर श्रद्धालु मचैल माता के दर्शन के लिए आए थे। दो सीआईएसएफ जवान भी बचाव के दौरान शहीद हो गए।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर हालात की पूरी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद मिल रही है। ट्वीट में उमर ने लिखा-
“मेरी सरकार और बादल फटने से प्रभावित लोगों के समर्थन के लिए मैं प्रधानमंत्री और केंद्र का आभारी हूं।”
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, अब तक 167 लोगों को बचाया गया है, जिनमें से 38 की हालत गंभीर है। 120 से अधिक लोग घायल हैं और करीब 200 लोग लापता बताए जा रहे हैं। कई के मलबे में दबे होने की आशंका है। मौसम खराब होने के कारण राहत कार्य प्रभावित हो रहा है।
एडिशनल एसपी प्रदीप सिंह ने बताया कि पुलिस, एसडीआरएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, सेना और एनडीआरएफ सहित सभी केंद्रीय बल संयुक्त रूप से बचाव कार्य कर रहे हैं। अब तक 8-10 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जबकि बाकी की प्रक्रिया जारी है। स्थानीय लोग और एम्बुलेंस सेवाएं भी राहत कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।
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