मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में हुई जनसुनवाई उस समय विवादों में घिर गई जब शहपुरा से भाजपा विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने कलेक्टर नेहा मारव्या पर कई गंभीर आरोप लगाए। विधायक ने कहा कि जनसुनवाई का उद्देश्य लोगों की समस्याओं का समाधान करना है, लेकिन यहां न तो आवेदनों पर तारीख डाली जाती है और न ही समय पर निराकरण होता है।
ग्रामीणों से अभद्र व्यवहार का आरोप
विधायक धुर्वे ने आरोप लगाया कि कलेक्टर ग्रामीणों से अभद्र भाषा में बात करती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि बैगा आदिवासी महिला बुधिया बाई, जिनके नाती की मृत्यु हो चुकी है, पिछले एक महीने से सहायता राशि के लिए कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रही हैं। जब वह विधायक के साथ कलेक्टर से मिलीं, तो उन्हें फटकार लगाई गई। धुर्वे ने कहा, कलेक्टर आदिवासियों को डांट-फटकार रही हैं। वे कहती हैं कि मेरी जिम्मेदारी नहीं है, विभागीय अधिकारियों से मिलो। फिर जनसुनवाई का क्या मतलब? उन्होंने कड़ी भाषा में कहा कि क्या कलेक्टर यहां मुर्गा-बकरा खाने के लिए बैठी हैं? ऐसी कलेक्टर को जिले में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
विकास कार्यों में बाधा का आरोप
विधायक ने कलेक्टर पर विकास कार्यों को रोकने के भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मेहदवानी ब्लॉक में संदीपनी विद्यालय का निर्माण कार्य कलेक्टर के हस्तक्षेप से रुक गया। वहीं, नगर की सीवरेज लाइन का घटिया निर्माण कार्य, जिसे जनप्रतिनिधियों ने खराब गुणवत्ता के चलते बंद कराया था, उसे कलेक्टर ने ठेकेदार से मिलकर फिर से शुरू करवा दिया।
विधायक का कहना है कि प्रशासन को विकास कार्यों में सहयोग करना चाहिए, लेकिन यहां स्थिति उलट है। उनके मुताबिक कलेक्टर का रवैया विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की बजाय अड़चनें खड़ी करने वाला है।
शिक्षकों की नियुक्ति और स्थानांतरण का मामला
जनसुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग की गड़बड़ियों के मुद्दे भी उठे। विनोद नामक व्यक्ति ने बताया कि उनकी पत्नी डी.एड. और बी.एड. धारक हैं और प्राथमिक शाला में अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ाती थीं। लेकिन एक शिक्षक ने अपने रिश्तेदार को भर्ती करा लिया और उनकी पत्नी को बाहर कर दिया। पिछले चार महीने से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।विधायक धुर्वे ने कहा कि जिले में शिक्षकों के स्थानांतरण और युक्तिकरण में भी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। योग्य लोगों को दरकिनार कर मनमानी की जा रही है।
मुख्यमंत्री से करेंगे शिकायत
विधायक ने ऐलान किया कि वे इन सभी मामलों की लिखित शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगे। उन्होंने कहा कि जिले में प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही बढ़ गई है। अधिकारी न तो जनता की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधियों के सुझावों को महत्व दे रहे हैं। धुर्वे का कहना है कि आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले में जिस संवेदनशीलता की जरूरत है, वैसी प्रशासनिक कार्यप्रणाली दिखाई नहीं दे रही। कलेक्टर द्वारा बैगा आदिवासियों के साथ कथित अभद्र व्यवहार इस बात का प्रमाण है।
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कांग्रेस-भाजपा के बीच नया विवाद
विधायक के इन आरोपों के बाद डिंडौरी का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। भाजपा विधायक जहां कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं कांग्रेस समर्थक इसे राजनीतिक बयानबाजी बता रहे हैं। फिलहाल जिले के प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या विधायक की शिकायत पर सरकार कोई कार्रवाई करेगी या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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