ग्वालियर बेंच के एकलपीठ द्वारा पारित आदेश में शिवपुरी जिले के सत्र न्यायाधीश के खिलाफ की गई टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए युगलपीठ ने हाईकोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने के निर्देश दिए थे। संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बताया कि संबंधित प्रकरण का रिकॉर्ड अभी तक उन्हें नहीं मिला है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस डी.डी. बंसल की युगलपीठ ने हाईकोर्ट को रिकॉर्ड उपलब्ध करवाने के निर्देश जारी किए और अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित की।
गौरतलब है कि ग्वालियर की एकलपीठ ने कथित धोखाधड़ी के आरोपियों द्वारा दायर दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर विचार करते हुए कहा था कि आदेश की एक प्रति मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर के प्रधान रजिस्ट्रार (सतर्कता) को भेजी जाए और उसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। ताकि शिवपुरी के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विवेक शर्मा के खिलाफ जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुमति मिल सके। याचिकाकर्ता के अनुसार न्यायाधीश ने मामले के तथ्यों पर विचार किए बिना और आवेदक को जमानत दिलाने के लिए भारतीय दंड संहिता की धाराओं 409, 420, 468, 471, 120-बी और 107 के तहत दंडनीय अपराधों से मुक्त कर दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायाधीश का उद्देश्य केवल धारा 406 के तहत आरोप लगाना था ताकि अभियुक्त को अनुचित लाभ मिल सके।
जबलपुर उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस एकलपीठ के आदेश को संज्ञान में लिया और मामले की सुनवाई याचिका के रूप में की। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि एकलपीठ के आदेश से प्रतीत होता है कि प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अन्य धाराओं के तहत बरी करने का आदेश देकर अभियुक्त को अनुचित लाभ पहुँचाने का प्रयास किया।
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युगलपीठ ने पिछली सुनवाई में यह भी स्पष्ट किया कि गलत आदेशों की आलोचना और एक न्यायिक अधिकारी की आलोचना करने में अंतर है। एकलपीठ ने निचली अदालत द्वारा पारित आदेश पर टिप्पणी की थी, लेकिन यह जमानत मामलों से संबंधित था और अपीलीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता।
युगलपीठ ने आदेश में निर्देश दिया कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का रजिस्ट्रार जनरल 10 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर करें। इस मामले में हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता संदीप शुक्ला ने पैरवी की। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किए।