मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से दर्दनाक हादसे की तस्वीरें सामने आई हैं। जहां अवैध रेत माफियाओं की मनमानी और प्रशासन की लापरवाही ने एक ही परिवार की तीन जिंदगियां निगल लीं। शनिवार तड़के सुबह करीब साढ़े तीन बजे कालीदेवी थाना क्षेत्र के फतीपुरा गांव में रेत से भरा 16 टायर का ट्राला अनियंत्रित होकर एक मकान पर पलट गया। हादसे में घर के अंदर सो रहे पति, पत्नी और उनकी मासूम बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई।
कैसे हुआ हादसा?
जानकारी के मुताबिक यह ट्राला छोटा उदयपुर से रेत भरकर राजगढ़ होते हुए कल्याणपुरा जा रहा था। जब यह फतीपुरा की घाटी से गुजर रहा था तभी चालक ने वाहन से नियंत्रण खो दिया। भारी-भरकम रेत से लदा ट्राला सीधे एक मकान पर पलट गया, जिसमें पूरा परिवार मलबे में दब गया। मृतकों की पहचान देसिंह मेड़ा (29 वर्ष), उनकी पत्नी रमिला मेड़ा (28 वर्ष) और 5 साल की मासूम आरोही मेड़ा के रूप में हुई है। तीनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। हादसे के बाद पूरे गांव में शोक और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि रातभर अवैध रेत ढोने वाले ट्रक और ट्राले तेज रफ्तार में सड़कों पर दौड़ते हैं। इन वाहनों में क्षमता से कहीं ज्यादा रेत भरी जाती है, जिससे हादसों का खतरा लगातार बना रहता है।
ग्रामीणों ने प्रशासन और खनन विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद अवैध रेत परिवहन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। अगर समय रहते रोक लगाई जाती तो आज यह त्रासदी नहीं होती।
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आक्रोशित ग्रामीणों की मांग
- अवैध रेत परिवहन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- ओवरलोड ट्रकों और रेत माफियाओं पर सख्त कार्रवाई हो।
- जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।
- मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा और न्याय दिलाया जाए।
यह हादसा न केवल रेत माफियाओं की हकीकत उजागर करता है, बल्कि प्रशासन और खनन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी बड़े सवाल खड़े करता है। आखिर कब तक अवैध रेत परिवहन और ओवरलोड ट्रक मासूम जिंदगियों की कीमत वसूलते रहेंगे?
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