मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जारी जनसुनवाई में आशा लेकर पहुंचे एक बुजुर्ग की जब सुनवाई नहीं हुई तो नाराज बुजुर्ग वहीं अपने आवेदन को मोड़ तोड़ कर डस्टबिन में फेंक कर वापस घर को लौट गए। दरअसल खंडवा के जसवाड़ी गांव के रहने वाले बुजुर्ग कैलाश चौबे ने अपनी पोती का साल 2022 में ऑपरेशन कराया था, जिसको लेकर उन्हें कर्ज तक लेना पड़ा था। तब से ही आर्थिक रूप से परेशान बुजुर्ग ने स्थानीय सांसद और जिला कलेक्टर से सरकारी योजना के तहत राशि स्वीकृत करने को लेकर पत्र जारी करवाया, जिसे लेकर वे भोपाल स्थित सीएम कार्यालय भी पहुंचे।
लेकिन उन्हें वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी और उन्हें वापस लौटा दिया गया। इसी मांग को लेकर जब वे दोबारा से जनसुनवाई में जिला कलेक्टर से मिले तो बुजुर्ग का कहना था कि उन्हें कलेक्टर ने स्पष्ट कह दिया गया कि सभी प्रकरण स्वीकृत नहीं होते, आप मत परेशान हो। जिसके चलते उन्होंने आवेदन फेंक दिया। वहीं, इसको लेकर खंडवा एडीएम का कहना था कि बुजुर्ग का प्रकरण सीएम कार्यालय से निरस्त हुआ है। इसलिए अब जिला स्तर पर उसमें कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।
भोपाल गये तो वहां से भगा दिया गया
इधर, जनसुनवाई में नाराज हुए बुजुर्ग कैलाश चौबे का कहना था कि उन्हें मुख्यमंत्री सुरक्षा अनुदान योजना के तहत सात लाख पचास हजार रुपये की सहायता को लेकर जिला कलेक्टर और सांसद ने पत्र दिया था। उस पत्र को लेकर जब वे भोपाल गए तो, उन्हें वहां से भगा दिया गया, कहा कि आप चले जाइए। वहां इन पत्रों की कोई वैल्यू नहीं की गई। उन्होंने कलेक्टर को खुद से भी नहीं कहा था कि वे 7.5 लाख की सहायता का पत्र बनाएं और मोदी जी भी बोलते हैं कि 5 लाख देंगे तो उन्हें तो 1 रुपये नहीं मिला। उन्होंने कर्जा लेकर अपनी पोती के पेट का ऑपरेशन कराया है, जिसका इलाज खंडवा और इंदौर में चला था। उसी को लेकर आज वे कलेक्टर साहब को सहायता के लिए आवेदन देने आए थे। लेकिन कलेक्टर ने उन्हें कहा कि वे अब कुछ नहीं कर सकते।
बुजुर्ग आक्रोशित होकर वापस घर लौट गए
इधर इस मामले की जानकारी देते हुए खंडवा एडीएम केआर बडोले ने बताया कि आज जनसुनवाई में जसवाड़ी गांव के एक बुजुर्ग आए थे। उनके द्वारा आर्थिक सहायता राशि की मांग की गई थी, जिसको लेकर उन्होंने पहले भी आवेदन दिया था, जो की सात लाख पचास हजार रुपये की आर्थिक सहायता को लेकर था। उस आवेदन को यहां से सीएम कार्यालय के लिए भेज दिया गया था। लेकिन इनकी मांगी गई सहायता राशि बड़ी थी, जिसका परीक्षण करने के दौरान वहां से ही इनका आवेदन निरस्त कर दिया गया। जब उन्हें यहां से इसकी जानकारी दी गई, तो उसे सुनकर वे कुछ आक्रोशित हो गए थे। चूंकि, उनका आवेदन सीएम कार्यालय के स्तर से निरस्त हुआ है, इसलिए उस पर अब जिला स्तर से किसी तरह की कार्रवाई किया जाना भी संभव नहीं है। हालांकि, शायद उनको पहले से इसकी जानकारी नहीं थी, इसलिए ही वे आक्रोशित हुए और अपने घर वापस चले गए।
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