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Negligence of CM Relief Fund Case dismissed by declaring the person asking for relief amount dead
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Sagar News: सीएम राहत कोष की लापरवाही, राहत राशि मांगने वाले को मृत बताकर खारिज किया प्रकरण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: सागर ब्यूरो Updated Sun, 10 Nov 2024 09:45 AM IST
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जरूरतमंद लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से राहत नहीं मिल पा रही है, बल्कि ऐसे लोगों को राहत देने के मामले में लापरवाहियां की जा रही है। एक मामला सागर जिले के देवरी से सामने आया है, जहां एक मजदूर ने अपनी बेटी के इलाज के लिए स्थानीय विधायक की अनुशंसा सहित मुख्यमंत्री राहत कोष में दो लाख रुपए राहत राशि के लिए आवेदन किया था, इसके बाद उस मजदूर को राहत तो नहीं मिली, बल्कि सीएम राहत कोष से जवाब आया कि उसे राहत इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि उसकी बेटी मर चुकी है।
यह था मामला
सागर जिले की देवरी कलां तहसील क्षेत्र के ग्राम रायखेड़ा निवासी कामता रजक की पुत्री ज्योति रजक 25 वर्ष को 26 सितंबर की रात्रि में सर्प ने काट लिया था, इसके बाद परिजन उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गए, जहां से उसे सागर रेफर कर दिया गया। 108 एंबुलेंस उपलब्ध न होने पर परिजनों ने निजी वाहन से ले जाकर उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका आयुष्मान कार्ड पर इलाज नहीं किया गया। इस अस्पताल में उसके इलाज का खर्चा दो लाख रुपए बताया गया। ज्योति के परिजनों की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वह इलाज के इस खर्चे को उठा पाते, तब परिजनों ने उसका एस्टीमेट बनवाकर स्थानीय विधायक बृज बिहारी पटेरिया की अनुशंसा पत्र के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष भोपाल जाकर आवेदन दिया।
राहत कोष से मिला यह जवाब
मुख्यमंत्री राहत कोष संभालने वाले अफसरों (स्टाफ) की लालफीता शाही और लापरवाहियों का आलम देखिए कि आवेदन देने के बाद दिनांक 15 अक्तूबर को ज्योति के भाई कीरत के मोबाइल पर मुख्यमंत्री कार्यालय से संदेश आया कि आपकी बेटी की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए आपको सहायता राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकती।
फिलहाल ज्योति स्वस्थ है
सीएम राहत कोष के इस अटपटे और गैर जिम्मेदाराना जवाब के बाद परिजनों ने यहां वहां से जुगाड़ कर ज्योति का इलाज करवाया। चार दिन अस्पताल में रहने के बाद वह स्वस्थ हो गई, लेकिन सीएम राहत कोष से मिले जवाब के बाद उसके परिजन हतप्रभ हैं। वहीं इस घटनाक्रम ने मुख्यमंत्री राहत कोष संचालन की वास्तविकता उजागर कर दी है।
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