भाजपा के वरिष्ठ नेता और तीन बार के पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी के निधन की खबर से पूरे सतना जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। रविवार सुबह उनका पार्थिव शरीर दिल्ली एम्स से सतना स्थित उनके निजी निवास सुभाष पार्क पहुंचा। जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को एंबुलेंस से उतारा गया। इस दौरान परिवारजन, समर्थक और क्षेत्रवासी भावुक हो उठे। अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग उनके निवास पर पहुंचते रहे।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी के अंतिम दर्शन करने मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला स्वयं सतना पहुंचे। उन्होंने परिवारजनों से मुलाकात कर सांत्वना व्यक्त की और नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी, सांसद गणेश सिंह, विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा (डब्बू), भाजपा जिलाध्यक्ष, पूर्व जनप्रतिनिधि और संगठन के कई पदाधिकारी मौजूद रहे। सभी ने अपने प्रिय नेता के निधन को अपूरणीय क्षति बताया और कहा कि शंकर लाल तिवारी का जीवन समर्पण, सरलता और सेवा का प्रतीक था।
गॉड ऑफ ऑनर के साथ दी गई अंतिम विदाई
पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी को रविवार दोपहर राजकीय सम्मान (गॉड ऑफ ऑनर) के साथ अंतिम विदाई दी गई। पुलिस बल ने सलामी दी और पूरी श्रद्धा से अंतिम संस्कार की औपचारिकताएं पूरी की गईं। उनके अंतिम संस्कार के समय बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे, जिन्होंने “तिवारी जी अमर रहें” के नारों के बीच अपने नेता को अश्रुपूर्ण विदाई दी।
साधारण परिवार से लेकर तीन बार विधायक तक का सफर
शंकर लाल तिवारी का जन्म सतना जिले के एक साधारण परिवार में हुआ था। वे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे और संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। जनता के बीच उनकी सादगी, विनम्रता और सेवा भाव के लिए वे हमेशा लोकप्रिय रहे। उन्होंने तीन बार विधायक के रूप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। राजनीति से परे भी वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे और हमेशा जनता के बीच एक सुलभ और सहज नेता के रूप में जाने जाते रहे। उनके निधन की खबर मिलते ही सतना जिले भर में शोक की लहर फैल गई। भाजपा कार्यालयों, जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं ने मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि तिवारी जी ने हमेशा सभी वर्गों के साथ मिलकर काम किया और कभी अपने पद या शक्ति का अहंकार नहीं किया।