भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को अपने बचपन के उन सुनहरे दिनों को फिर से जी लिया, जब वे सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल, सतना के छात्र थे। करीब 55 वर्ष बाद जब वे अपने पुराने विद्यालय पहुँचे, तो पूरा परिसर गर्व और भावनाओं से भर उठा। बच्चों, शिक्षकों और शहरवासियों ने उनका आत्मीय स्वागत किया। मंच पर पहुंचते ही प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
जनरल द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 1971-72 में वे इसी विद्यालय की चौथी कक्षा में पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि यहीं से उन्होंने जीवन की दिशा तय करना सीखा और कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित की। उन्होंने भावुक होकर कहा, “यही वह स्थान है जिसने मेरे व्यक्तित्व को गढ़ा, मेरे भीतर राष्ट्र सेवा का संकल्प जगाया। आज मैं जो कुछ भी हूँ, उसमें इस विद्यालय का बड़ा योगदान है।”
अपने संबोधन में जनरल द्विवेदी ने हाल ही में चर्चा में आए ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि यह धर्म युद्ध था न्याय और मानवता की रक्षा के लिए लड़ा गया युद्ध।
उन्होंने कहा, “इस मिशन में हमारी प्राथमिकता थी कि निर्दोषों को कोई नुकसान न पहुंचे। हमने कभी भी प्रार्थना या नमाज के समय हमला नहीं किया। हमारे हर कदम में धर्म और मर्यादा का ध्यान रखा गया।” पाकिस्तान को साफ संदेश गया कि भारत की सेना युद्ध में भी नीति, धर्म और अनुशासन का पालन करती है।
जनरल द्विवेदी ने छात्रों से संवाद करते हुए कहा कि सफलता के लिए तीन बातें जरूरी हैं दृष्टिकोण, अनुकूलनशीलता), और क्षमता) उन्होंने समझाया कि सकारात्मक दृष्टिकोण हर मुश्किल को आसान बना देता है, अनुकूलनशीलता व्यक्ति को बदलती परिस्थितियों में टिके रहने की ताकत देती है और क्षमता वही है जो व्यक्ति को बाकी सब से अलग बनाती है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे कठिन परिश्रम और अनुशासन को अपना साथी बनाएं। “आज का विद्यार्थी ही कल का राष्ट्र निर्माता है। यदि आप लगन से मेहनत करेंगे, तो आने वाले भारत की दिशा आप ही तय करेंगे।”
राष्ट्र सेवा पर बल देते हुए थल सेना प्रमुख ने कहा कि हर नागरिक को देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाना चाहिए, चाहे वह सेना में हो या नागरिक जीवन में। उन्होंने कहा, “भारत हमारा घर है और इसे विकसित बनाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। जब देश के हर नागरिक में सेवा का भाव होगा, तभी 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनेगा।”
ये भी पढ़ें- Sagar News: विवि का मनोविज्ञान विभाग बना अखाड़ा, क्लास लेने को लेकर मचा बवाल, महिला प्रोफेसर आपस में भिड़ीं
गौरव और सम्मान का क्षण
सम्मान समारोह में विद्यालय के शिक्षकों, छात्रों, पूर्व छात्रों और शहर के गणमान्य नागरिकों की बड़ी संख्या मौजूद रही। विद्यालय परिवार ने गर्व के साथ अपने पूर्व छात्र का सम्मान किया। जनरल द्विवेदी के आते ही स्कूल का हर कोना गर्व से भर गया। जिन गलियों में उन्होंने कभी बचपन में खेला था, वही रास्ते अब देश के थल सेना प्रमुख का स्वागत करते दिखाई दिए। कार्यक्रम के दौरान वातावरण में भावनाओं, उत्साह और देशभक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला। लोग गर्व से कहते दिखे “हमारे स्कूल ने देश को थल सेना प्रमुख दिया है।”