जिले के ब्यौहारी तहसील अंतर्गत खड़हुली गांव में एक बड़े जमीन घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस पूरे मामले की शिकायत कांग्रेस नेता कुंवर सिंह ने ईओडब्ल्यू रीवा में की है। यह घोटाला केवल सरकारी भूमि के दुरुपयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रशासन के उच्च अधिकारियों की सीधी या परोक्ष संलिप्तता भी सामने आई है।
कुंवर सिंह ने शिकायत में आरोप लगाया कि पूरे मामले में पूर्व कलेक्टर वंदना वैद्य, तत्कालीन एसडीएम नरेंद्र सिंह धुर्वे और नायब तहसीलदार अमित मिश्रा ने मिलीभगत कर सरकारी जमीनों को अवैध रूप से निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज कराया है। यह घोटाला लगभग 100 एकड़ से अधिक भूमि पर हुआ है जिसकी बाजार में कीमत लगभग दो सौ करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है।
जिला प्रशासन की जांच में सामने आया है कि पटवारी राजेंद्र द्विवेदी और प्रदीप तिवारी ने सरकारी जमीनों की रजिस्ट्री अपने रिश्तेदारों के नाम कर दी, जिन नामों पर ये रजिस्ट्री की गई उनमें लक्ष्मी रेशमा तिवारी, पूर्णिमा तिवारी, संदीप तिवारी, दिवाकर सिंह तिवारी, राजकली तिवारी के नाम शामिल हैं। ये सभी कथित रूप से संबंधित अधिकारियों और पटवारियों के नजदीकी रिश्तेदार हैं।
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मध्यप्रदेश भूमि राजस्व संहिता के अंतर्गत सरकारी भूमि का हस्तांतरण निजी व्यक्तियों को केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है, जैसे अनुसूचित जाति/ जनजाति, भूमिहीन या हरिजन वर्ग के लिए। इस मामले में यह स्पष्ट हुआ है कि भूमियों का हस्तांतरण न केवल अवैध रूप से किया गया, बल्कि निजी लाभ के उद्देश्य से अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रख दिया।
शिकायतकर्ता के अनुसार खड़हुली गांव की करीब 20 खसरा नंबरों की जमीनों में पुराने 83-84 के खसरे दिखाकर हेराफेरी की गई और दस्तावेजों में गड़बड़ी कर जमीन को वैध दिखाया गया, इसके बाद इन जमीनों की रजिस्ट्री कर दी गई और अब इन जमीनों को धीरे-धीरे छोटे टुकड़ों में बेचने का काम चल रहा है।
पूरे मामले में कलेक्टर केदार सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार राजस्व विभाग, सतर्कता समिति और पुलिस की संयुक्त टीमें मामले की जांच करेंगी और जल्द ही मामले का खुलासा होगा।