भांजे के फंसाने के लिए अपनी ही बेटी के पैर में गोली मारने वाले पिता को अदालत ने तीन साल कठोर कारावास और पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। मामला सात साल पहले का है। व्यक्ति की बेटी उस समय तीसरी कक्षा में पढ़ती थी। व्यक्ति ने रंजिश के चलते अपने भांजे को फंसाने के लिए ये घिनौना कदम उठाया। इतना ही नहीं बेटी ने भी घटना के लिए भाई को जिम्मेदार ठहराया। सात साल बाद जांच में सच सामने आने के बाद कोर्ट ने दोषी बाप को सजा सुनाई है।
जानकारी के अनुसार चिमनगंज थाना क्षेत्र के मंगल नगर में रहने वाले रतनलाल पिता भैरूलाल मुंगिया ने कक्षा तीसरी में पढ़ने वाली बेटी को 31 मार्च 2018 को जिला अस्पताल में भर्ती किया था। उसके पैर की पिंडली में गोली लगी थी, जो आर पार हो गई थी। बालिका को गोली लगने की सूचना मिलने पर तत्कालीन एसआई आरबी सिंह चौहान बयान दर्ज करने अस्पताल पहुंचे थे। अपने बयान में बलिका ने बताया था कि रात 11 बजे वह सोने जा रही थी। उसकी मम्मी राजकुमारी और पापा रतनलाल खाना खा रहे थे, तभी दरवाजे पर खटखटाने की आवाज आई। मम्मी ने दरवाजा खोलने का बोला। दरवाजा खोला तो सामने उसके रिश्ते का भाई चंचल बंदूक लेकर खड़ा था। जिसे वह देखकर डर गई और पलटकर वापस घर के अंदर भागी तो चंचल ने उसे जान से मारने की नीयत से गोली चला दी। गोली उसके बाएं पैर की पिंडली में आर-पार हो गई। गोली चलने पर पापा छिप गए और मम्मी छत पर चली गईं और वह बेहोश हो गई। चंचल के भागने पर मम्मी-पापा उसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर आये।
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बालिका के बयान के बाद पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। घटना की सत्यता सामने नहीं आ सकी। मामले की गंभीरता से जांच शुरू की गई, एफएसएल टीम को बुलाया गया। इस दौरान मामला संदिग्ध होने पर बालिका के परिजनों से पूछताछ की गई। पता चला कि बालिका के पिता की भांजे चंचल उर्फ चवन्नी से रंजिश चल रही थी। उसी को फंसाने के लिये पूरा पडयंत्र रचा गया और पिता ने ही देशी बंदूक से बेटी के पैर में गोली मारी है। पुलिस ने पिता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के साथ अवैध हथियार रखने का प्रकरण दर्ज कर पिता को कोर्ट में पेश किया था।
मामले में अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी कुलदीप सिंह भदौरिया ने बताया कि सात साल बाद विशेष न्यायाधीश पवन कुमार पटेल ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपी पिता रतनलाल मुंगिया को तीन साल कठोर कारावास और पांच हजार के अर्थदंड से दंडित किया। प्रकरण में प्रभारी उपनिदेशक अभियोजन राजेन्द्र खांडेगर द्वारा चिमनगंज पुलिस को अनुसंधान में विधिक परामर्श और साक्ष्य संकलन में मार्गदर्शन प्रदान किया। वहीं, मामले में अपर लोक अभियोजक राहुल विपट द्वारा पैरवी की गई।