सिंहस्थ महाकुंभ के लिए प्रदेश सरकार काफी अच्छा कार्य कर रही है। बड़नगर रोड को सिक्स लेन बनाया जा रहा है। साथ ही इस कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने की तैयारी भी की जा रही है। सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर सरकार का कहना है कि ना भूतों ना भविष्यति इस बार जैसा महाकुंभ आयोजित होगा ना तो ऐसा कभी हुआ है और ना ही ऐसा कभी हो पाएगा। यह कहना है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज का जो कि इन दिनो धार्मिक नगरी उज्जैन में आए हुए हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि बारिश के बाद जल्द ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ मिलकर बैठक की जाएगी और फिर सिंहस्थ महाकुंभ की तारीखों की घोषणा की जाएगी। सिंहस्थ महाकुंभ को उज्जैन में भव्य और दिव्य तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने जानकारी दी कि बड़नगर रोड को 6 लेन किया जा रहा है और मुख्यमंत्री की योजना के तहत 30 किलोमीटर लंबे घाट बनाए जाएंगे, जिन पर आने वाले 40 से 50 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। बारिश के कारण कुछ कार्य फिलहाल रुके हैं, लेकिन जल्द ही शेष कार्य शुरू होंगे।
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उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ ना भूतो ना भविष्यति होगा, ऐसा आयोजन न पहले हुआ है न आगे होगा। परिषद और साधु-संत मिलकर इसे ऐतिहासिक बनाने में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं। आगामी वर्ष को लेकर संभावित आपदाओं की चर्चाओं पर उन्होंने कहा कि विद्वानों ने इसे शुभ नहीं माना है। इसी कारण दिल्ली में एक विश्व शांति महायज्ञ कराने की तैयारी चल रही है। इस विषय में वार्ता जारी है और जल्द ही औपचारिक घोषणा की जाएगी।
प्रेमानंद महाराज और रामभद्राचार्य महाराज पर यह बोले
प्रेमानंद महाराज और रामभद्राचार्य महाराज के बीच हुए विवाद पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई साधु-संतों की लड़ाई नहीं है, बल्कि शास्त्रार्थ परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अगर संत आपस में शास्त्रार्थ करेंगे तो ज्ञान का विस्तार होगा। इसका समाज पर सकारात्मक असर पड़ेगा। महाराज ने दोनों संतों की विद्वत्ता और योगदान की सराहना की और कहा कि संतों का बहस-चर्चा करना ज्ञान के प्रकाश को फैलाने के लिए आवश्यक है।
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