आज कल शादी विवाह में हो रही फिजूल खर्ची से जहां एक ओर बेटियों की शादी विवाह करने वाले परिजनों को कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं, जो आपको एक नसीहत देने के साथ-साथ समाज के लिए सबक भी बनते हैं। खजुराहो (छतरपुर) के फाइव स्टार होटल क्लार्क ने कार्यरत सेवाग्राम खजुराहो के रहने वाले सैय्यद साजिद अली और तबस्सुम ने अपने बेटे जेया हाशमी की शादी खजुराहो के मंजूर नगर निवासी शेख रहीम की पुत्री फिजा खान के साथ तय किया। इसकी शादी यानी निकाह 17 दिसंबर 2024 को खजुराहो की जामा मस्जिद में मुस्लिम रीति-रिवाज से सम्पन्न हुआ। यह शादी बहुत ही सादगी और सादे तरीके से तय शुदा तारीख को असर और मगरिब के बीच चंद लोगों की मौजूदगी में सम्पन्न हुई।
लड़के के वालिद साजिद अली ने बताया कि यह शादी हमारे नबी पाक हजरत मुहम्मद सल्लाहों अलैहि वसल्लम के बताए एवं सरिया अनुसार यह निकाह सरे से की गई, जिसमें न ही कोई बाराती रहा न बैंड बाजे रहे, सिर्फ घर और खास रिस्तेदार मौजूद रहे। इसके साथ न ही कोई दहेज लेन-देन और न ही कोई बेफिजूली, नेग-दस्तूर हुए। बड़ी ही सादगी और शांति से यह निकाह मुकम्मल हुआ है।

समाज के लोगों से अपील
समाज के लोगों से मेरी अपील है कि इस तरह से ही मस्जिदों से निकाह करें। इससे फिजूलखर्ची नहीं होती, शादियां सीधी और सच्ची होनी चाहिए। अपने को बड़ा दिखाने के चक्कर में शादियां बेफिजुली और खर्चीली होती जा रही है, जिससे लोग अपने को छोटा-बड़ा आंकने लगते हैं। बड़े होने का दिखावा न करें और न ही किसी को भी छोटे-बड़े का एहसास होने दें।
यह शादी नजीर पैदा करेगी
निकाह कराने वाले हाफिज सादिक हुसैन पेश इमाम जामा मस्जिद खजुराहो से साब की तो उन्होंने बताया कि आज की इस शादी में सिर्फ परिजन और हाजरीन, गवाह लोग थे। यहां कोई दावत, वलीमा, खाना, पीना, बैंड, बाजे, बारात, आतिशबाज़ी नहीं थी। इससे पैसा भी बचा कोई फिजूलखर्ची भी नहीं हुई। यह समाज में अच्छा संदेश देने वाली शादी/निकाह था। यह शादी दूसरों के लिए नज़ीर बनेगी। इसके लिए मैं दोनों तरफ के लोगों (लड़की वाले और लड़के वालों) को मुबारकबाद देता हूं और लोगों से कहना चाहूंगा कि ऐसे ही शादियां करें, जो औरों को प्रोत्साहित करे और नज़ीर बने।

सम्पन्न परिवार से हैं दूल्हा-दुल्हन
दूल्हा और दुल्हन के परिजन पांच सितारा होटल खजुराहो में कार्यरत हैं, जो अच्छाख़ाशा वेतन पाते हैं। वहीं, दूल्हा बाहर रहकर कंपनी में जॉब करता है तो वहीं दुल्हन हाउस वाइफ है। दूल्हा-दुल्हन की माने तो हमारे विवाह घर वालों की मर्जी से तय किए गए हैं और विवाह की हुई रश्मों-रिवाज से हम लोग बहुत खुश हैं।
लड़के वालों ने अपने खर्चे पर कराया शादी के बाद दावते वलीमा
वहीं, अब निकाह के बाद विदा होकर बहू की घर आमदी पर लड़के वालों ने अपने खर्चे पर सुन्नत की अदायगी करते हुए दावते वलीमा कराया। यहां बताना चाहेंगे कि इस विवाह में लड़की वालों का एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। बल्कि लड़की सिर्फ दो कपड़ों में बिना दहेज के ससुराल आई है।