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ब्यास नदी में बढ़ रहा जलस्तर, मंड क्षेत्र के दर्जनों गांवों में फिर से बाढ़ का डर
पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बादल फटने के कारण मैदानी इलाकों के दोआबा में मंड क्षेत्र से जुड़े कई गांवों के किसानों को इस साल भी ब्यास नदी में पानी बढ़ने के कारण बाढ़ का डर सता रहा है। वर्ष 2023 में ब्यास दरिया में जलस्तर बढ़ने के बाद सुल्तानपुर लोधी के कई गांवों में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। किसानों की हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गई थीं, यहां तक कि दो मासूम बच्चे भी बाढ़ में बहकर ब्यास दरिया में डूब गए थे। ब्यास नदी में जलस्तर फिर से बढ़ने लगा है। जिसके कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। परमजीत सिंह बाऊपुर, तरलोचन सिंह डोडा वजीर, कुलदीप सिंह महीजितपुर, जसपिंदर सिंह बाऊपुर कदीम आदि किसानों का कहना है कि अभी मानसून शुरू ही हुआ है और ब्यास दरिया में बढ़े जलस्तर के कारण बाढ़ का डर अभी से बना हुआ है। हर साल ब्यास नदी के माध्यम से मंड क्षेत्र में भारी कटाव होता है, जिसके कारण किसानों द्वारा बोई गई हजारों एकड़ धान की फसल नष्ट हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक साल पहले 2023 में आई बाढ़ के कारण फसलों को हुआ नुकसान और सरकार द्वारा प्रभावित किसानों को एक भी रुपया मुआवजा न देना साफ दर्शाता है कि सरकार और प्रशासन मंड क्षेत्र के प्रति गंभीर नहीं है। मंड के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। किसानों ने कहा कि जब भी पहाड़ी क्षेत्र में भारी बारिश या तूफान आता है, तो इसका पूरा असर पंजाब राज्य के इस हलके पर अधिक पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार समय-समय पर हरिके से पानी नहीं छोड़ती है, जिसके कारण ब्यास नदी में जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सुल्तानपुर लोधी हलके को ब्यास दरिया के साथ-साथ सतलुज से भी हमेशा खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले तो घोषणा करती है कि विभाग को सभी जरूरी प्रबंध करने के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन जब समय रहते विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता और बाढ़ पूरी तरह तबाही मचा देती है, तब विभाग की कुंभकर्णी नींद खुलती है और प्रशासनिक अधिकारी आते हैं और बाढ़ से बचाव के बड़े-बड़े दावे करते हैं और फोटो खिंचवाकर चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को मुआवजा देना तो दूर, राहत सामग्री भी जल्द मुहैया करवाना संभव नहीं है।
इन गांवों के किसानों का क्या कहना
इस बार अभी तक विभाग ने कोई खास कार्रवाई नहीं की है, यहां तक कि बांध को मजबूत करने के लिए भी नहीं। तटबंध कई जगहों से लीक हो रहा है। जिससे बांध टूटने का खतरा बढ़ गया है। अगर जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो कभी भी बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए किसानों ने मांग की है कि बांध के किनारों को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर पत्थर के निशान लगाए जाएं और बहाव को डाइवर्ट किया जाए।
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