पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सरिस्का टाइगर रिजर्व के CTH (क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट) सीमांकन विवाद को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया अंतरिम फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि इससे यह साबित हो गया है कि सरिस्का क्षेत्र में एक संगठित माफिया नेटवर्क काम कर रहा है, जो अब उजागर हो रहा है। उन्होंने मौजूदा केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा को केवल एक मोहरा बताया। उन्होंने कहा कि यह काम बहुत बड़े लेवल पर हो रहा था, ताकि टहला क्षेत्र को सरिस्का के टाइगर रिजर्व से बाहर निकाला जा सके ओर वह इलाका अडानी ग्रुप को खनन के लिए दिया जा सके। उन्होंने कहा कि टहला क्षेत्र में खनिज के अपार भंडार हैं और यह खनिज भी अच्छा वाला है। इसी लिए यह सारा खेल खेला जा रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम फैसला देकर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
सरकार ने बदले नियम, नहीं ली विशेषज्ञों या जनता की राय जो की बेहद जरूरी थी
जितेंद्र सिंह ने कहा कि सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का क्षेत्र में माइनिंग पर रोक लगाई थी, लेकिन उसके बाद सरकार ने अचानक सीमाएं बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी, वो भी बिना किसी वैज्ञानिक सर्वे या सार्वजनिक आपत्ति के और सरकार ने किसी स्वतंत्र विशेषज्ञ या इंडिपेंडेंट बॉडी से भी राय भी नहीं ली।
सब काम तीन दिनों में ही कर लिया गया
- 23 जून को स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड ने सिफारिश भेजी।
- 24 जून को NTCA (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) से प्रक्रिया पूरी कराई गई।
- 26 जून को नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ ने मुहर लगा दी।
- यह बताता है कि पूरी प्रक्रिया बेहद जल्दबाजी में और एक ‘पूर्वनिर्धारित योजना’ के तहत हुई है।
सरकारी अधिकारियों को धमकाकर लिए गए दस्तखत
राजस्थान वाइल्डलाइफ बोर्ड के अधिकारियों को एक पेनड्राइव दी गई, जिसमें पहले से तय नक्शा मौजूद था। कौन सा गांव सरिस्का में रहेगा और कौन सा नहीं। उस पेनड्राइव को सरकारी कंप्यूटर में चलाकर अधिकारियों पर दबाव बनाया गया, डराया गया और हस्ताक्षर करवाए गए। ये दर्शाता है कि सरकार के नाम पर एक बड़ा माफिया खेल चला रहा है।
खनिजों पर नजर, अडानी जैसी कंपनियों को लाभ देने की आशंका
उन्होंने यह भी आशंका जताई कि यह सब सरिस्का क्षेत्र के बहुमूल्य खनिजों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी का हिस्सा हो सकता है। सरकार की जल्दबाजी से साफ है कि ये कोई साधारण मामला नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश और संभावित घोटाले की ओर इशारा करता है। जितेंद्र सिंह ने अंत में पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए CBI जांच की मांग की। कहा कि जब तक सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती और देश से माफी नहीं मांगती, यह लड़ाई जारी रहेगी।