सरिस्का बाघ परियोजना के अंतर्गत विस्थापित परिवारों के पुनर्वास को लेकर ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 21 परिवारों को मौके पर भूमि जमाबंदी का वितरण कर गैर-खातेदारी अधिकार प्रदान किए। इससे छह वर्षों से अपने अधिकारों की प्रतीक्षा कर रहे परिवारों को बड़ी राहत मिली है।
सरकार की इस पहल के तहत ग्राम कांकवाड़ी, सुकोला, पानीढाल, हरिपुरा, डाबली और लोज के कुल 178 परिवारों को पुनर्वासित किया गया। इन परिवारों को 350 हैक्टेयर आरक्षित वन भूमि पर बसाया गया, जहां प्रत्येक परिवार को 600 वर्ग गज का आवासीय भूखंड और 6 बीघा कृषि भूमि आवंटित की गई है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कार्यक्रम में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया और इस पहल को सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि विस्थापित परिवारों के लिए पेयजल, बिजली, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित की गई हैं। जिनमें विस्थापित परिवारों के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दो नई कक्षाओं के निर्माण की घोषणा की गई। गौरतलब है कि गैर-खातेदारी अधिकार मिलने से परिवार अब कृषि ऋण, पीएम आवास योजना, किसान सम्मान निधि योजना सहित केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री संजय शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि सरिस्का क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में सरिस्का में कुल 42 बाघ-बाघिन हैं और सरकार इसे विश्व स्तर पर संरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
जिला कलेक्टर किशोर कुमार ने बताया कि विस्थापन स्थल पर दो आवासीय कॉलोनियों का विकास किया गया है। यहां पेयजल के लिए बोरवेल और पानी की टंकी बनाई गई, साथ ही ग्रेवल सड़कें एवं कृषि भूखंडों तक पहुंचने के लिए रास्ते भी तैयार किए गए हैं। प्रशासन ने 350 हैक्टेयर वन भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया और तत्परता से विस्थापित परिवारों के नाम जमाबंदी में दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी की।
छह वर्षों के लंबे इंतजार के बाद विस्थापित परिवारों को आधिकारिक रूप से उनकी भूमि का अधिकार मिला। यह पहल सामाजिक न्याय और सतत विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे इन परिवारों का जीवन स्तर बेहतर होगा और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।