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Alwar News: Dev Vanas and Rundh Bhoomi will be protected, Supreme Court orders to give deemed forest status
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Alwar News : देव वनों और रुंध भूमि का होगा संरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने दिए डीम्ड फॉरेस्ट का दर्जा देने के आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अलवर Published by: अलवर ब्यूरो Updated Sun, 22 Dec 2024 08:55 AM IST
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प्रदेश के ओरण, देव-वन और रुंध जैसे पारंपरिक पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण के लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है। कृषि एवं पारिस्थितिकी विकास संस्थान (कृपाविस) के संस्थापक अमन सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इन क्षेत्रों को डीम्ड फॉरेस्ट का दर्जा दिया जाएगा। इस पहल से राज्य के लगभग 6 लाख हैक्टेयर ओरण भूमि के करीब 25,000 ओरणों का संरक्षण सुनिश्चित होगा।
जानकारी के अनुसार जिले में 200 ओरण-देव वन और 18 रुंध क्षेत्रों का ऑन-ग्राउंड और सैटेलाइट मैपिंग का कार्य किया जाएगा। इन क्षेत्रों में कुल 2,000 हैक्टेयर देव वन और 1,800 हैक्टेयर रुंध क्षेत्र शामिल हैं। यह मैपिंग इन भूमियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अमन सिंह ने बताया कि ओरण और देव वनों को संरक्षित करने के लिए 2021 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
क्या हैं ओरण और डीम्ड फॉरेस्ट?
ओरण शब्द संस्कृत के 'अरण्य' से निकला है, जिसका अर्थ है वनभूमि। ओरण ऐसी जमीन है] जहां खेती नहीं की जाती और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक है। इन स्थानों पर पशु और पक्षियों को स्वच्छंद विचरण की सुविधा होती है।
जबकि डीम्ड फॉरेस्ट वे क्षेत्र हैं, जिनमें वनों जैसी विशेषताएं हैं लेकिन वे न तो सरकारी अधिसूचना में आते हैं और न ही राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इन क्षेत्रों को डीम्ड फॉरेस्ट का दर्जा मिलने से इनके संरक्षण को कानूनी दर्जा मिलेगा।
अमन सिंह ने बताया कि यदि सरकार ओरण और देव वनों में रहने वाले लोगों को हटाना चाहे तो वे फॉरेस्ट राइट्स एक्ट (FRA) के तहत दावा कर सकते हैं कि यह क्षेत्र उनके अधिकार में आता है। उन्होंने यह भी कहा कि ओरण और देव वनों का संरक्षण न केवल स्थानीय समुदायों बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लाभकारी होगा। भारत सरकार ने 30% जंगल बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिसे इस कदम से बड़ी सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगी, बल्कि राजस्थान की पारंपरिक पारिस्थितिकी प्रणालियों और संस्कृति को संरक्षित करने में भी मदद करेगी। ओरण और देव वनों का संरक्षण इन क्षेत्रों के वन्यजीवों और जैव विविधता के लिए वरदान साबित होगा।
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