शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालय में जब गुरु ही न हों, तो भला ज्ञान का दीपक कैसे जलेगा। ऐसा ही एक मामला बुधवार को बालोतरा जिले के सिवाना उपखंड क्षेत्र के मोकलसर चौकी अंतर्गत काठाड़ी गांव में सामने आया। यहां शिक्षकों की भारी कमी से आक्रोशित छात्रों ने स्कूल गेट पर ताला जड़कर प्रदर्शन किया। धीरे-धीरे यह आंदोलन उग्र होता गया और छात्र-छात्राओं के साथ उनके परिजन भी सड़क पर उतर आए। अंततः मामला इतना बढ़ा कि बालोतरा-जालोर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-325) को कुछ घंटों के लिए आवागमन के लिए बंद करना पड़ा।
सुबह की शुरुआत विरोध से
बुधवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे, काठाड़ी स्थित राजकीय संस्कृत वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों ने अपनी नाराजगी जताने के लिए विद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला लगाकर धरना शुरू कर दिया। सूचना मिलते ही मोकलसर पुलिस चौकी से टीम मौके पर पहुंची और छात्रों से समझाइश का प्रयास किया। इस दौरान अभिभावकों और ग्रामीणों की भीड़ भी बढ़ती चली गई। बच्चों का कहना था कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद शिक्षा विभाग ने अब तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की है।
सीबीईओ मौके पर पहुंचे, पर छात्र नहीं माने
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सिवाना खंड शिक्षा अधिकारी (C.B.E.O.) श्रवण कुमार खुद मौके पर पहुंचे। उन्होंने छात्रों से संवाद कर उन्हें शांत करने का प्रयास किया और समस्या के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया, लेकिन छात्रों का कहना था कि पहले भी ऐसे वादे किए गए, पर कभी स्थायी समाधान नहीं हुआ। इस बार उन्होंने स्पष्ट कहा जब तक समस्या का समाधान नहीं नहीं होता तब तक स्कूल का ताला नहीं खुलेगा।
हाईवे जाम से रुका यातायात
करीब सुबह 11 बजे नाराज छात्रों ने विद्यालय परिसर छोड़कर नेशनल हाईवे-325 पर धरना शुरू कर दिया। देखते ही देखते जालोर-बालोतरा मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचकर समझाइश में जुट गए। करीब एक घंटे की बातचीत के बाद दोपहर 12 बजे बाद छात्रों ने शर्तों के साथ जाम खोल दिया।
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250 छात्र, मात्र 4 शिक्षक
कक्षा 11वीं की एक छात्रा ने बताया कि स्कूल में 250 से ज्यादा विद्यार्थी हैं। पहले संख्या करीब 400 थी, लेकिन शिक्षक न होने की वजह से दर्जनों बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। अब स्कूल सिर्फ चार अध्यापकों के सहारे चल रहा है, जबकि कुल 18 पद स्वीकृत हैं। छात्रों ने बताया कि कई विषयों की कक्षाएं महीनों से बंद हैं। बोर्ड परीक्षा नजदीक है, लेकिन विषयवार शिक्षक न होने से बच्चों की तैयारी अधूरी है।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
धरने में शामिल ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना था कि उन्होंने कई बार शिक्षा विभाग व प्रशासन को ज्ञापन सौंपे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब करोड़ों रुपये खर्च कर भवन बनाए जा रहे हैं, तो उनमें पढ़ाने वाले शिक्षक क्यों नहीं लगाए जा रहे? सरकारी घोषणाओं में सब कहते हैं ‘हर बच्चे को शिक्षा’, लेकिन हकीकत में हमारे बच्चे बिना अध्यापक के भटक रहे हैं।
अधिकारियों ने किया आश्वासन
सीबीईओ श्रवण कुमार ने मौके पर उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाएगी और अस्थायी रूप से आस-पास के स्कूलों से अध्यापक लगाए जाएंगे। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे पढ़ाई में ध्यान दें और किसी भी स्थिति में हाईवे जाम जैसी कार्रवाई न करें। प्रशासन ने भी आश्वासन दिया कि मामले को जिला शिक्षा अधिकारी तक पहुंचाया जाएगा।
काठाड़ी विद्यालय का यह मामला राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूलों की बदहाली का एक और उदाहरण है। भवन तो खड़ा है, लेकिन शिक्षक नहीं। पाठ्यक्रम तय है, लेकिन पढ़ाने वाला नहीं। नतीजा यह कि गांव के बच्चे या तो पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं या निजी स्कूलों का रुख कर रहे हैं। यह स्थिति सरकार के “सबके लिए समान शिक्षा” के दावे पर सवाल खड़े करती है। धरना समाप्त करते हुए ग्रामीणों ने साफ कहा कि यदि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई, तो वे फिर से स्कूल पर तालाबंदी कर हाईवे जाम करेंगे। उन्होंने कहा कि अब केवल आश्वासन नहीं, बल्कि स्थायी समाधान चाहिए। काठाड़ी के विद्यार्थियों और ग्रामीणों का यह आंदोलन केवल एक गांव की समस्या नहीं, बल्कि राजस्थान के कई ग्रामीण विद्यालयों की वास्तविक तस्वीर है, जहां शिक्षा की नींव “शिक्षक” ही गायब हैं।