विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत की ओर से रविवार को भीलवाड़ा के आदर्श विद्या मंदिर शाहपुरा में प्रांत स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रभर से जुड़े कार्यकर्ताओं, आचार्यों, दीदियों और प्रबंध समिति पदाधिकारियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल उपस्थित रहे। उनके साथ विद्या भारती के अखिल भारतीय राष्ट्रीय मंत्री शिव प्रसाद, चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष डॉ. संतोषानंद, प्रांतीय मंत्री सुरेंद्र अरोड़ा और कोषाध्यक्ष दीपक जौहरी मंच पर मौजूद थे।
सांसद दामोदर अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत समर्थ और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हर नागरिक का यह दायित्व है कि वह भारत में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करे। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 से पहले ही विकसित राष्ट्र बनाना है। इसके लिए हमें आपसी भेदभाव को छोड़कर, राष्ट्रहित में एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने विद्या भारती से जुड़े कार्यकर्ताओं से समर्थ भारत निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय मंत्री शिव प्रसाद ने कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं कर रही, बल्कि राष्ट्र के भविष्य का निर्माण भी कर रही है। उन्होंने कहा कि यहां से निकलने वाली युवा पीढ़ी पढ़ाई के साथ-साथ देशभक्ति, जिम्मेदारी और राष्ट्रप्रेम की भावना से ओतप्रोत होती है, जो आने वाले समय में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
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चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष डॉ. संतोषानंद ने संस्था के विस्तार और उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रांत में 233 विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनमें लगभग 81 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इन विद्यालयों में केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि संस्कार और चरित्र निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों, कार्यकर्ताओं और प्रबंध समिति सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। आदर्श विद्या मंदिर, शाहपुरा के प्रधानाचार्य दुर्गालाल ने सभी अतिथियों और आगंतुकों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन कार्यकर्ताओं और शिक्षकों का मनोबल बढ़ाते हैं और उन्हें समाज व राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।