राजस्थान में वर्षों से हाशिए पर खड़े डीएनटी (विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जातियों) ने अब सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने का फैसला कर लिया है। गुरुवार को भीलवाड़ा के आजाद चौक से कलेक्टर कार्यालय तक निकाली गई विशाल रैली में हजारों की संख्या में समाज के लोग काले झंडों और गूंजते नारों के साथ शामिल हुए। रैली के समापन पर कलेक्टर ऑफिस के बाहर पुतला दहन कर सरकार के प्रति गहरा आक्रोश जाहिर किया गया।
सरकार की अनदेखी के खिलाफ फूटा गुस्सा
इस 'महा-बहिष्कार रैली' का आयोजन राष्ट्रीय पशुपालक संघ, डीएनटी संघर्ष समिति और विमुक्त घुमंतू अर्ध-घुमंतू जाति परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। रैली के माध्यम से समाज ने स्पष्ट रूप से चेताया कि अगर तीन माह के भीतर वार्ता कर समाधान नहीं हुआ, तो यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलेगा। साथ ही पंचायत और निकाय चुनावों के बहिष्कार का एलान भी किया गया।
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‘अब नहीं सहेंगे उपेक्षा, हक लेकर रहेंगे’
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय पशुपालक संघ के अध्यक्ष लालजी राईका ने कहा कि सरकार वर्षों से डीएनटी समाज की मांगों की अनदेखी कर रही है। हमारी आवाजें कई बार उठाई गईं, लेकिन सरकार ने न तो कभी वार्ता की और न समाधान दिया। यह अंतिम ज्ञापन है, अब जवाब केवल आंदोलन से मिलेगा।
राईका ने यह भी बताया कि राजस्थान सरकार की मान्यता प्राप्त सूची में केवल 32 डीएनटी समुदाय शामिल हैं, जबकि वास्तविक संख्या 50 से अधिक है। इनकी अनुमानित जनसंख्या एक करोड़ 23 लाख, यानी राज्य की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत है। इसके बावजूद समाज को शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में शून्य भागीदारी मिली है। कई लोगों के पास आज भी न तो आवासीय पट्टे हैं और न ही सरकारी प्रमाणपत्र।
प्रतिनिधित्व की मांग, योजनाओं का बहिष्कार
विमुक्त घुमंतू अर्ध-घुमंतू जाति परिषद के प्रदेशाध्यक्ष रतननाथ कालबेलिया ने मंच से चेतावनी दी कि अगर एक नवंबर 2025 तक सरकार ने ठोस बातचीत नहीं की तो समाज हाईवे पर उतरकर विरोध करेगा। साथ ही हम पंचायत और निकाय चुनावों, सरकारी प्रमाणपत्र शिविरों और योजनाओं का भी बहिष्कार करेंगे।
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पांच प्रमुख मांगें सौंपीं सरकार को
आंदोलन के दौरान सरकार को दिए गए मांगपत्र में पांच मुख्य मांगों को दोहराया गया। इसमें डीएनटी समाज को 10 प्रतिशत आरक्षण, पंचायतों में 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्व, बस्तियों की जमीन पर मालिकाना पट्टे, बच्चों के लिए मॉडल स्कूलों की स्थापना और 1000 छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति देने की मांग शामिल है।
आजाद चौक पर आयोजित सभा में राजस्थान के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में समाजजन, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि और युवा पहुंचे। सभी की एक ही आवाज थी अब और नहीं सहेंगे, हक लेकर रहेंगे। सभा के अंत में चेतावनी दी गई कि यदि सरकार ने जल्द वार्ता शुरू कर समाधान नहीं किया, तो यह आंदोलन पूरे राजस्थान में फैलाया जाएगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।