अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मध्यप्रदेश प्रभारी और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने शनिवार को जिले के संवेदनशील गांव बासनपीर जाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वे थार की अपणायत और मोहब्बत का पैगाम लेकर वहां पहुंचेंगे, जहां बीते दिनों सांप्रदायिक तनाव के बाद हालात संवेदनशील बने हुए हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनों बासनपीर में पौराणिक छतरियों के निर्माण के दौरान दो पक्षों के बीच पत्थरबाजी की घटना हो गई थी, जिसके बाद प्रशासन ने एहतियातन पूरे गांव में राजस्थान पुलिस अधिनियम की धारा 163 लागू कर दी थी। इस धारा के अंतर्गत न सिर्फ बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है, बल्कि किसी भी तरह के धार्मिक, सामाजिक या राजनीतिक कार्यक्रमों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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इसी पृष्ठभूमि में हरीश चौधरी का बासनपीर जाना कानून व्यवस्था के लिहाज से संवेदनशील माना जा रहा है। शुक्रवार को बाड़मेर में एक प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने ऐलान किया कि वे शनिवार को सुबह 10 बजे बाड़मेर सर्किट हाउस से बासनपीर के लिए रवाना होंगे। उन्होंने अपने समर्थकों और थार की संस्कृति में विश्वास रखने वाले सभी लोगों से इस यात्रा में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हमारा क्षेत्र भाईचारे, सांझी संस्कृति और अपणायत के लिए जाना जाता रहा है लेकिन कुछ ताकतें इसमें नफरत का जहर घोलने का काम कर रही हैं। ऐसे वक्त में हमें मोहब्बत की दुकान खोलनी होगी। हम बासनपीर जाकर रामधुन के जरिए शांति और प्रेम का संदेश देंगे।
हालांकि प्रशासन के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है। जानकारी के अनुसार हरीश चौधरी द्वारा मांगी गई अनुमति को जिला प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया है। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की सार्वजनिक सभा या यात्रा की इजाजत नहीं दी है। प्रशासन को आशंका है कि अगर यह यात्रा होती है तो पहले से ही संवेदनशील गांव में तनाव और अधिक बढ़ सकता है। इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी भी 16 जुलाई को बासनपीर आने वाले थे लेकिन धारा 163 लागू होने के कारण वे नहीं आ पाए थे। ऐसे में अब हरीश चौधरी के इस ऐलान को प्रशासन बेहद गंभीरता से ले रहा है। यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या हरीश चौधरी बिना प्रशासनिक अनुमति के गांव में प्रवेश कर सकेंगे या उन्हें भी गांव की सीमा पर ही रोक दिया जाएगा।