जालोर के जसवंतपुरा कस्बे में रविवार को हुए सड़क हादसे ने जहां एक मासूम बच्ची की जान ले ली, वहीं उसी घटना से इंसानियत और साहस की मिसाल भी सामने आई। हादसे के दौरान घायल बच्ची को निस्वार्थ भाव से कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचाने वाली मलिका मेघवाल अब पूरे कस्बे में चर्चा का केंद्र बन गई हैं।
हादसे के बीच दिखाई बहादुरी और सेवा भावना
प्रतिभा नामक 5 वर्षीय बच्ची सड़क पार कर रही थी, तभी तेज रफ्तार एक्टिवा ने उसे चपेट में ले लिया। बच्ची गंभीर रूप से घायल होकर सड़क पर तड़प रही थी, लेकिन आसपास मौजूद लोग घबराकर मदद नहीं कर पा रहे थे। इसी दौरान जसवंतपुरा के हीरो शोरूम में कार्यरत मलिका मेघवाल ने अपनी ड्यूटी छोड़ दी और तुरंत बच्ची को उठाया। उन्होंने करीब 500 मीटर तक दौड़ लगाकर बच्ची को अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान खून से लथपथ बच्ची को गोद में उठाए रखने के कारण मलिका के कपड़े भी खून से भीग गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी।
मासूम की मौत, पर समाज के लिए बनी प्रेरणा
अस्पताल में डॉक्टरों ने तत्काल उपचार शुरू किया, लेकिन दुखद पहलू यह रहा कि इलाज के दौरान मासूम प्रतिभा की मौत हो गई। बच्ची की मौत से कस्बे में शोक की लहर दौड़ गई। हालांकि मलिका का साहस और तत्परता समाज में नई उम्मीद और प्रेरणा का संदेश बन गया। लोग कह रहे हैं कि ऐसी संवेदनशीलता ही असली मानवता है।
मलिका का सम्मान, समाज ने जताया गौरव
सोमवार को पुलिस थाना परिसर में भामाशाहों, पत्रकारों और कस्बे के गणमान्य नागरिकों ने मलिका का सम्मान किया। उन्हें साफा, पुष्पमाला पहनाकर और नगद राशि भेंट कर अभिनंदित किया गया। इस अवसर पर थाना प्रभारी गुमानसिंह भाटी, बीसीएमओ डॉ. प्रशांत सैन, समाजसेवी रामसिंह धरूपड़ा और शोरूम संचालक प्रवीण पुरोहित सहित कई लोग मौजूद रहे। वक्ताओं ने कहा कि जब अधिकांश लोग हादसों में मदद से कतराते हैं, तब मलिका जैसी बेटियां समाज को नई दिशा दिखा रही हैं।
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पहले भी दिखा चुकी हैं इंसानियत
यह पहला अवसर नहीं है जब मलिका ने किसी की जान बचाने का प्रयास किया हो। इससे पूर्व भी उन्होंने टेम्पो और बाइक की टक्कर में घायल हुए लोगों को समय रहते अस्पताल पहुंचाकर उनकी जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसी सेवा भावना ने उन्हें लोगों के बीच एक अलग पहचान दिलाई है।
थाना प्रभारी गुमानसिंह भाटी ने कहा कि मलिका का यह कदम मानवता की सच्ची परिभाषा है। डॉ. प्रशांत सैन ने भी कहा कि यदि हर व्यक्ति इसी तरह संवेदनशील बने तो कई जिंदगियां समय रहते बचाई जा सकती हैं। सोशल मीडिया से लेकर आम बातचीत तक, हर जगह मलिका मेघवाल की सराहना हो रही है।