सोमवार सुबह सीहोर जिला मुख्यालय ने ऐसा मंजर देखा जिसने कुछ देर के लिए पूरे इलाके में दहशत फैला दी। तेज झटकों से पूरा शहर सहम उठा और जिला कलेक्टर कार्यालय की विशाल इमारत का एक हिस्सा धराशायी हो गया। लोग अफरा-तफरी में बाहर भागने लगे। इस घटना के बाद हर कोई अपने-अपने परिजनों की खबर लेने के लिए बेचैन दिखाई दिया।
मलबे में दबे लोग, चीख-पुकार का माहौल
इमारत का हिस्सा ढहने के साथ ही कुछ कर्मचारी और नागरिक मलबे के नीचे दब गए। वहां मौजूद लोगों की चीख-पुकार से माहौल और भयावह हो गया। जिसने भी यह नजारा देखा, उसका दिल दहल उठा। हालात इतने गंभीर थे कि पल भर में स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिख रही थी।
राहत और बचाव में उतरे NDRF के जवान
जैसे ही सूचना प्रशासन को मिली, एनडीआरएफ-11 की टीम तत्काल मौके पर पहुंची। कमांडर के नेतृत्व में जवानों ने युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। मशीनों की मदद से मलबा हटाया गया और दबे हुए लोगों को बाहर निकालने की कोशिशें तेज हुईं। इस दौरान एनडीआरएफ के साहसी जवानों ने कई लोगों की जान बचाई।
जिला अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं
घायलों को तेजी से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। वहां इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर और नर्स पहले से ही सतर्क खड़े थे। घायलों का तत्काल इलाज शुरू हुआ और स्थिति को नियंत्रण में लाने का हरसंभव प्रयास किया गया। कलेक्टर ने भी अस्पताल पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
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प्रशासनिक तंत्र की सक्रियता
जिला कलेक्टर बालागुरू के. स्वयं मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों पर बारीकी से नजर रखी। उनके निर्देशन में पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका की टीमों ने पूरी तन्मयता से कार्य किया। हर विभाग को सख्त निर्देश दिए गए कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
मॉक ड्रिल का सच आया सामने
लगातार चल रहे इस बचाव कार्य के बीच जब हालात काबू में आए, तब सच्चाई सामने आई कि यह सब एक आपदा प्रबंधन मॉक ड्रिल थी। असल में एनडीआरएफ-11 द्वारा यह अभ्यास किया गया था, ताकि भूकंप जैसी आपात स्थिति में प्रशासन, सुरक्षा बल और नागरिक किस प्रकार प्रतिक्रिया दें, इसकी परख हो सके।
छात्रों को दिया संदेश
मॉक ड्रिल के समापन के बाद कलेक्टर बालागुरू के. ने शासकीय पीएम एक्सीलेंस कॉलेज के छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आपदा के समय सबसे अहम है सतर्कता और जानकारी। यदि नागरिक सही समय पर सही कदम उठाएं, तो वे अपनी और दूसरों की जान बचा सकते हैं।
एनडीआरएफ कमांडर का नेतृत्व
पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व एनडीआरएफ-11 के कमांडर सिकंदर ने किया। उनकी सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता ने पूरे अभियान को सफल बनाया। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे आपदा प्रबंधन के दिशानिर्देशों और एडवायजरी को गंभीरता से लें।
अधिकारियों और विद्यार्थियों की उपस्थिति
इस मौके पर अपर कलेक्टर वृंदावन सिंह, संयुक्त कलेक्टर रविंद्र परमार, एसडीएम तन्मय वर्मा सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे। सभी ने देखा कि किस प्रकार टीमवर्क और तत्परता से किसी बड़ी त्रासदी को टाला जा सकता है।