जालौर की जवाई नदी इन दिनों तेज बहाव पर है और जवाई बांध में पानी की आवक लगातार बनी हुई है। रोजाना औसतन 200 एमसीएफटी पानी आने से मंगलवार शाम तक बांध का गेज 57.20 फीट पहुंच गया, जबकि इसकी पूर्ण भराव क्षमता 61.25 फीट है। अभी भी करीब 1100 एमसीएफटी पानी खाली है। मौसम विभाग ने 5 और 6 सितंबर को पाली, जालौर और सिरोही में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। ऐसे में अचानक गेट खोले जाने की स्थिति में आहोर से लेकर नेहड़ तक बाढ़ जैसे हालात बनने की आशंका जताई जा रही है।
जनप्रतिनिधियों को बैठक से बाहर रखने पर नाराजगी
सुमेरपुर में मंगलवार को जवाई बांध की स्थिति पर बैठक हुई, जिसमें बांध को पूर्ण क्षमता तक भरने और सेई टनल को बंद कर पानी रिजर्व रखने का निर्णय लिया गया। लेकिन इस बैठक में जालौर जिले के जनप्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया गया। ग्रामीणों और संगठनों ने इसे गंभीर नाराजगी का कारण बताया। पिछले वर्ष लंबे आंदोलन के बाद आश्वासन दिया गया था कि जवाई बांध से जुड़े हर निर्णय में जालौर के जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा, लेकिन इस बार फिर उनकी अनदेखी हुई।
किसानों और संगठनों का विरोध तेज
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रतनसिंह के नेतृत्व में किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि जवाई बांध में 55 फीट से ऊपर आने वाले पानी का 50 प्रतिशत नदी में छोड़ा जाए। इससे न केवल बांध की क्षमता पर असर नहीं पड़ेगा बल्कि जालौर में बाढ़ का खतरा भी कम होगा। किसानों का कहना है कि पाली जिले में पहले से ही 27 छोटे-बड़े बांध बने हुए हैं, इसके बावजूद जवाई का पानी रोकना जालौर के साथ अन्याय है।
इधर, शिवसेना (यूबीटी) के जिला प्रमुख रूपराज पुरोहित के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने गुड़ा बालोतान में बहती जवाई नदी में उतरकर अनूठा प्रदर्शन किया। संगठन ने ‘जवाई रथ यात्रा’ निकालने और जवाई पर जालौर का हक तय करने के लिए आंदोलन की घोषणा की।
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बाढ़ जैसे हालात की संभावना
इतिहास गवाह है कि 1973 से 2017 तक 8 बार जवाई बांध के गेट खोलने से जालौर में बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। इस बार भी यदि अचानक गेट खोले गए तो आहोर, जालौर, साक्ला, बागोड़ा और नेहड़ तक पानी भरने का खतरा है। इस समय सूकड़ी और लूणी नदियां भी उफान पर हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
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विधायकों ने दिया आश्वासन
आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने कहा कि सेई टनल बंद करने का निर्णय गलत है और इसे लेकर वे मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि पानी की आवक बनी रही तो 59 फीट पर ही गेट खोलने की कोशिश की जाएगी। वहीं, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि सरकार की पूरी नजर इस मामले पर है और मुख्यमंत्री से चर्चा हो चुकी है। कोशिश रहेगी कि अचानक बाढ़ जैसी स्थिति न बने और समय रहते पानी की निकासी शुरू की जाए।