झुंझुनूं शहर के चूरू बाइपास इलाके में शनिवार रात बड़ा हादसा हो गया, जब अज्ञात बदमाशों ने मन्नत मोटर्स वर्कशॉप में घुसकर पेट्रोल छिड़क आग लगा दी। रात करीब 10 बजे हुई इस वारदात में मरम्मत के लिए खड़ी 18 कारें पूरी तरह जलकर राख हो गईं। आग इतनी भयानक थी कि दो किलोमीटर दूर तक धुआं नजर आता रहा और लगातार हो रहे धमाकों से पूरा इलाका दहशत में आ गया। भीषण आग को काबू करने में दमकल की तीन गाड़ियों को डेढ़ घंटे के कई फेरे लगाने पड़े।
वर्कशॉप संचालक नासिर राठौड़ ने बताया कि वे शाम को वर्कशॉप बंद कर घर गए थे। थोड़ी देर बाद पड़ोसियों ने फोन कर आग लगने की सूचना दी। मौके पर पहुंचने पर पूरी वर्कशॉप धधक रही थी और अंदर खड़ी सभी गाड़ियां आग की चपेट में थीं। गाड़ियों में भरे पेट्रोल और डीजल के कारण आग तेजी से फैलती चली गई। टैंक फटने और शीशे टूटने की आवाजें लगातार सुनाई देती रहीं, जिससे लोग घरों से बाहर निकल आए और पूरा इलाका अफरा-तफरी में रहा।
सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा है कि बदमाश वर्कशॉप में घुसे, शीशे तोड़े और पेट्रोल छिड़ककर आग लगाई। संचालक के अनुसार ये वही लोग हैं जिन्होंने पांच दिन पहले वर्कशॉप और पास के होटल में तोड़फोड़ की थी। उस घटना में भी पेट्रोल बम फेंके गए थे, लेकिन आग नहीं लगी थी। नासिर और होटल संचालक ने 24–25 नवंबर को सीसीटीवी फुटेज सहित पुलिस को रिपोर्ट दी थी, आरोपियों के नाम तक बताए थे, लेकिन किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
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जमीन को लेकर चल रहा था विवाद
स्थानीय लोगों और पीड़ित पक्ष के अनुसार पूरा मामला जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते दोनों पक्षों में काफी समय से तनाव चल रहा था। होटल संचालक सोयब इकबाल ने तो यहां तक बताया कि दो दिन पहले ही उन्हें “आग लगा देंगे” की धमकी दी गई थी, जिसकी लिखित शिकायत भी पुलिस में दी गई थी। इसके बावजूद न कोई गिरफ्तारी हुई, न गश्त बढ़ाई गई और न ही पुलिस ने स्थिति को गंभीरता से लिया।
आग बुझने के बाद वर्कशॉप का पूरा ढांचा राख में बदल चुका था। टीन शेड पिघल गए, 18 कारें जली हालत में खड़ी थीं और औजार व मशीनें भी पूरी तरह नष्ट हो गईं। कई कारें महंगी थीं और ग्राहकों की थीं, जिनका नुकसान लाखों रुपये में पहुंच गया है।
घटना के बाद स्थानीय लोगों में पुलिस की भूमिका को लेकर भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ने पहली शिकायत पर ही कार्रवाई कर दी होती तो इतनी बड़ी वारदात नहीं होती। पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि जब आरोपी पहले से नामजद थे, तो पांच दिन तक पुलिस हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही?