उत्तराखंड के धराली क्षेत्र में 5 अगस्त को बादल फटने की घटना में शहीद हुए अग्निवीर अजीत सिंह राजपूत का पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक गांव बुद्धपुरा भरतून पहुंचा। इस दौरान पूरे गांव में शोक की लहर छा गई। शरीर का पार्थिव शरीर देखकर परिजन बुरी तरह बिलख पड़े। इस दौरान लोगों ने 'अजीत सिंह अमर रहें' के नारे लगाए, जिससे पूरा गांव गूंज उठा। शहीद की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उनका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया। सेना के जवानों ने सलामी देकर अपने वीर साथी को अंतिम विदाई दी। बड़े भाई अंकुर सिंह जादौन ने शहीद को मुखाग्नि दी।
इस मौके पर सैन्य अधिकारियों के साथ विधायक हंसराज मीणा, पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल, उपखंड अधिकारी बाबूलाल समेत बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण मौजूद रहे। श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के संभाग प्रभारी सुधीर सिंह जादौन और जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ने पुष्पांजलि अर्पित की। जिला सैनिक कल्याण बोर्ड अध्यक्ष सूबेदार मेजर हरीश गुर्जर सहित अनेक पूर्व सैनिकों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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गौरतलब है कि अजीत सिंह पुत्र मलखान सिंह राजपूत ने 4 जून को आर्मी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 15 दिन की छुट्टी लेकर अपने गांव बुद्धपुरा में समय बिताया था। इसके बाद 20 जून को उन्होंने उत्तराखंड स्थित 14 राजपूताना राइफल्स के हर्षिल बेस कैंप में ड्यूटी ज्वाइन की। लेकिन 5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में बादल फटने से आई अचानक बाढ़ और मलबे की चपेट में हर्षिल स्थित आर्मी कैंप भी आ गया, जिससे कई जवान लापता हो गए। सर्च अभियान के दौरान अजीत सिंह का शव बरामद हुआ। रविवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा, जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
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